Sunday School : प्रयागराज में एक बार फिर शुरू हो गई है रविवासरीय पाठशाला, दिखेगा बदला स्वरूप
Sunday School यह पाठशाला खरकौनी के डॉक्टर एसपी सिंह अपने आवास पर चलाते हैं। करीब 7 साल से यह क्रम चल रहा है। इसमे आसपास रहने वाले अभिभावक भी काफी उत्साह से अपने बच्चों को भेजते है। यहां पुस्तकीय ज्ञान के साथ् ही संस्कारों की शिक्षा भी दी जाती है।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण काल में तमाम चीजों को रोक दिया। कई के स्वरूप भी बदल गए हैं। खास कर बच्चों की पढ़ाई अधिक प्रभावित हुई। इसी में नैनी के खरकौनी में चलने वाली रविवासरीय पाठशाला भी शामिल है। लाकडाउन के बाद बच्चे घर से नहीं निकल रहे थे। यह पाठशाला भी बंद हो गई थी। अब अनलॉक 5 में फिर से यह पाठशाला शुरू हो चुकी है। हां अभी बच्चो की संख्या कम है। आसपास के बच्चे ही आ रहे हैं।
यह पाठशाला खरकौनी के डॉक्टर एसपी सिंह अपने आवास पर चलाते हैं। करीब 7 साल से यह क्रम चल रहा है। इसमे आसपास रहने वाले अभिभावक भी काफी उत्साह से अपने बच्चों को भेजते है। यहां सिर्फ पुस्तकीय ज्ञान नहीं दिया जाता बल्कि संस्कारों की शिक्षा भी दी जाती है। बच्चों को देश के तमाम पर्व, महापुरुषों के बारे में भी बताया जाता है। कुछ अभिभावक तो अपने बच्चों की रोज मर्रा की चीजें भी डॉक्टर एसपी सिंह से बताते हैं। खास बात यह कि बच्चे डॉक्टर सिंह की बात भी मानते हैं।
अभी पाठशाला में अलग अलग क्लास के करीब दस बच्चे ही आ रहे है। इन्हें भाषा व गाडित पढ़ाया जा रहा है। कोशिश होती है कि खेल खेल में ही बच्चे सीखें। कुछ बच्चे अक्षर व अंक ज्ञान सीख रहे हैं। कुछ बिना हासिल का जोड़ व घटाना सीख रहे हैं। सभी को लर्निंग आउटकम के सापेक्ष ही गृहकार्य दिया जा रहा है। बच्चों के साथ कुछ योगाभ्यास की बातें भी की की जाती है। प्रतिदिन शारीरिक व्यायाम व योग करने को प्रेरित किया जा रहा है।
गृहकार्य लेते समय या कोई खाने की सामग्री बंटने पर एकसाथ कूद पड़ने की प्रवृत्ति पर रोक लगाने का भी प्रयास गो रहा है। कोशिश है कि यहाँ बच्चे सामान्य व्यवहार भी सीखें।
डॉक्टर सिंह कहते है कि हम सभी बेसिक शिक्षकों पर एक अच्छे समाज व राष्ट्र के निर्माण का दायित्त्व है। जिसे पूरा करने का हम सब हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं। इस कार्य को करने में हमारे समक्ष अनेक चुनौतियां भी हैं जिसमें कुछ नीतिगत कमियों के भी हम लोग शिकार हैं लेकिन उसका भी ठीकरा हमारे ऊपर ही थोपा जाता है।
फिलहाल छोटे बच्चों को पढ़ाने का अवसर मिलना बहुत आसान नहीं है। मैं व्यक्तिगत रूप से विद्यालय के बच्चों के साथ ही निःशुल्क रविवासरीय पाठशाला के इन बच्चों के प्रति आजीवन कृतज्ञ हूं। 12 मार्च 2017 से प्रारम्भ यह रविवासरीय निःशुल्क पाठशाला कोरोना के कारण कई माह से बंद है। पिछले रविवार से बिना बुलाये ही कुछ बच्चे आ जाते हैं तो उन्हें कोरोना के दृष्टिगत कुछ विषयगत सीख देकर गृहकार्य दे दिया जाता है।