Move to Jagran APP

प्राइवेट जांच केंद्रों के सहारे चल रही एसआरएन की कैंसर यूनिट

मंडल के सबसे बड़े रेफरल सेंटर स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल (एसआरएन) की कैंसर यूनिट प्राइवेट जांच केंद्रों के सहारे चल रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 08:04 PM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 06:25 AM (IST)
प्राइवेट जांच केंद्रों के सहारे चल रही एसआरएन की कैंसर यूनिट
प्राइवेट जांच केंद्रों के सहारे चल रही एसआरएन की कैंसर यूनिट

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : मंडल के सबसे बड़े रेफरल सेंटर स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल (एसआरएन) की कैंसर यूनिट प्राइवेट जांच केंद्रों के सहारे चल रही है। डॉक्टर को छोड़कर यहा कोई सुविधा नहीं है।

loksabha election banner

वर्ष 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एसआरएन सहित देश के 10 सरकारी अस्पतालों में कैंसर मरीजों की रेडियोथिरेपी के लिए कोबाल्ट मशीन लगाने की घोषणा की थी। एसआरएन अस्पताल के कैंसर केयर यूनिट में 2008 में तीन करोड़ रुपये से कोबाल्ट मशीन लगा दी गई थी। उस समय मशीन का सोर्स ही नहीं था। रेडियोथिरेपी मशीनों का सोर्स भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर मुम्बई देता है। इसके लिए प्रयास ही नहीं किया गया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2015 में जवाब तलब किया कि मशीन क्यों नहीं चली। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने जवाब दिया कि मशीन चलाने के लिए कोई फिजीसिस्ट नहीं है। वर्ष 2017 में फिजीसिस्ट की तैनाती की गई। इसके बाद भी सोर्स नहीं लिया गया। शासन का दबाव पड़ा तो लाइसेंस लेने की प्रक्रिया शुरू हुई। फिर खराब उपकरणों को दुरुस्त करने पर सात लाख रुपये खर्च करने पड़े। इसके साथ 14 लाख रुपये वार्षिक मेंटीनेंस चार्ज देना पड़ा। मशीन कई सालों तक बंद रहने से 22 लाख रुपये का चूना सरकार को लगा। जून 2017 में विधान परिषद की टीम ने मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के कैंसर केयर यूनिट का निरीक्षण किया था। इस टीम के मुखिया डॉ. राधामोहन अग्रवाल ने प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक व मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को हिदायत दी थी कि 15 अगस्त से पहले यह मशीन हर हाल में चालू हो जानी चाहिए। इसके बाद बार्क से सोर्स लिया गया। छह अगस्त 2018 से यहां इलाज शुरू हुआ। कैंसर यूनिट में महज पांच कर्मचारियों की तैनाती है। इसमें तीन पद शैक्षणिक हैं, जिनमें बतौर विभागाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह के अलावा सह आचार्य डॉ. राधा केसरवानी और सहायक आचार्य डॉ. अनिल कुमार मौर्य शामिल हैं। इसके अलावा दो गैर शैक्षणिक पदों में आउटसोर्सिग से रणजीत सिंह और जीआर शकील की तैनाती है। स्टॉफ और उपकरणों की कमी खत्म हो जाए तो कैंसर यूनिट पटरी पर आ जाएगी। करीब 80 करोड़ की लागत से आठ मशीनें लगनी हैं। इसके लिए करीब 10 बार शासन को पत्र लिखा गया। नौ शैक्षणिक पद व 55 गैर शैक्षणिक पदों को भरने के लिए भी पत्र लिखा गया है।

- डॉ.अनिल, सहायक आचार्य एवं विकिरण सुरक्षा अधिकारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.