आप प्रयागराज आ रहे हैं न तो चलिए कुछ तीखा हो जाए... Prayagraj News
प्रयागराज के सगौड़े का स्वाद ही निराला है। यहां के कुछ चुनिंदा स्थानों पर मशहूर सगौड़े का स्वाद चखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। आप भी एक बार जरूर इसका टेस्ट ले सकते हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। आमतौर पर खाने और खिलाने के शौकीन किसी खास अवसर पर कहते हैं 'चलो कुछ मीठा हो जाए'। वहीं प्रयागराज के शहर और कस्बा में चटपटी खाद्य सामग्री पसंद करने वालों का स्वाद अब बदल रहा है। लोग कहने लगे हैं 'चलो कुछ तीखा हो जाए'। यह तीखापन खासतौर से रसेदार और नमकीन लजीज आइटम सगौड़ा में तेजी से आ रहा है। हम तो यही कहेंगे कि जब आप प्रयागराज आएं तब यहां के लजीज सगौड़े का स्वाद जरूर चखें।
इन स्थानों के चुनिंदा दुकानदार लोगों को सगौड़े का दीवाना बना पा रहे हैं
कुछ चुनिंदा दुकानदार ही लोगों को सगौड़े का दीवाना बना पा रहे हैं। इनमें नैनी रेलवे स्टेशन के समीप बाबा सगौड़ा, फाफामऊ-वाराणसी मार्ग पर गौडज़ी का सगौड़ा और सिविल लाइंस में दयानंद मार्ग (हीरा हलवाई चौराहा-एजी ऑफिस की सड़क) पर यादवजी का सगौड़ा कोई भूल नहीं पाता। गरमागरम और तीखा सगौड़ा कई मायनों में खास है।
ठेले पर कुल्हड़ में सगौड़े की सोंधापन निराला है
ठेले पर ही सही, दुकानदारों रमाशंकर गौड़, नैनी के जानकी प्रसाद और प्रयागराज शहर में कल्लू यादव ने मिट्टी की करई व कुल्हड़ में सगौड़ा देकर इसमें सोंधापन घोल दिया है। इस सोंधेपन ने ही सगौड़े के स्वाद को अलग पहचान भी दी है। अब लोगों में इसके प्रति दीवानगी का आलम क्या है यह जानना हो तो फाफामऊ बाजार में रमाशंकर गौड़ के ठेले पर नजारा देखना होगा। दोपहर करीब तीन बजे से ठेला लगता है लेकिन इसका इंतजार कुछ ग्राहक पहले से करने लगते हैं। दुकान लगने के घंटे भर बाद तो रमाशंकर व उनके साथ लगे लोगों को बात करने तक की फुर्सत नहीं मिलती। ग्राहकों में महिलाओं की तादाद ज्यादा होती है।
लखनऊ या प्रतापगढ़ जा रहे हैं तो यहां जरूर रुकें
यहां तक कि प्रयागराज शहर से जिन भी लोगों का सड़क मार्ग से लखनऊ या फाफामऊ होते हुए वाराणसी जाना होता है उनमें कई लोग इस तीखे सगौड़े का स्वाद लेने जरूर पहुंच जाते हैं। कुछ यही नजारा दयानंद मार्ग पर यादव जी के ठेले पर और नैनी रेलवे स्टेशन के समीप 25 साल से दुकान लगा रहे जानकी प्रसाद के यहां रहता है। चक रघुनाथ मोहल्ला निवासी जानकी प्रसाद कहते हैं कि दुकान पर भीड़ लगना या उनके सगौड़े को पसंद करना, ग्राहकों का स्नेह है। मसाले व तेल सहित बेसन, साग, नमक आदि का मिश्रण करते समय सिर्फ एक बात पर ध्यान देते हैं कि सामग्री की तौल व गुणवत्ता से कोई समझौता न होने पाए। क्योंकि कुछ खाते समय जीभ को जायका मिले और सेहत पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े, यह सबसे जरूरी है।
सगौड़ा ठंडा नहीं होने पाता और बिक जाता है
कल्लू यादव कहते हैं कि सगौड़ा ठंडा नहीं होने पाता और बिक जाता है। लोग दूर-दूर से उनके ठेले पर पहुंचते हैं। कोई स्थाई दुकान नहीं लेकिन, ठेला लगाने का एक निश्चित स्थान जरूर है। सगौड़े की दुकान वैसे तो प्रयागराज में अधिकांश बाजारों व मुहल्लों में लगने लगी है, फाफामऊ में ही अब कई लोग इस दिहाड़ी व्यापार में आ गए हैं लेकिन, ग्राहकों को अपनी ओर खींच पाने में कुछ लोगों को ही महारथ हासिल है।