नौ स्थलों से होगा सिलिका सैंड का खनन, पहली बार टेंडर जारी
जिला प्रशासन ने पहली बार सिलिका सैंड खनन के लिए आनलाइन टेंडर जारी किया है। नौ स्थलों पर खनन के लिए 30 साल का टेंडर होगा। खनन के लिए कुल 170 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की गई है। इसके लिए मेटल स्क्रैप ट्रेड कार्पोरेशन लिमिटेड (एमएसटीसी) वेबसाइट पर आवेदन किया जा सकता है। आवेदन की प्रक्रिया 18 नवंबर तक चलेगी और 22 से 29 नवंबर तक टेंडर खोला जाएगा।
जासं, प्रयागराज : जिला प्रशासन ने पहली बार सिलिका सैंड खनन के लिए आनलाइन टेंडर जारी किया है। नौ स्थलों पर खनन के लिए 30 साल का टेंडर होगा। खनन के लिए कुल 170 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की गई है। इसके लिए मेटल स्क्रैप ट्रेड कार्पोरेशन लिमिटेड (एमएसटीसी) वेबसाइट पर आवेदन किया जा सकता है। आवेदन की प्रक्रिया 18 नवंबर तक चलेगी और 22 से 29 नवंबर तक टेंडर खोला जाएगा। सिलिका का खनन शुरू होने से शंकरगढ़ क्षेत्र के तमाम लोगों को रोजगार मिल सकेगा और कांच के नए उद्योग भी शुरू हो सकेंगे।
सिलिका सैंड की पहाड़ियां देश के कुछ चुनिदा इलाकों में ही है। उत्तर प्रदेश में सिलिका सैंड की पहाड़ी बारा तहसील के शंकरगढ़ क्षेत्र में और चित्रकूट में हैं। सिलिका सैंड से कांच का निर्माण होता है। कुछ साल पहले शंकरगढ़ से सिलिका सैंड का बड़े पैमाने पर खनन होता था। यहां से देश ही नहीं विदेशों में भी सिलिका सैंड जाता था। इसी खनिज से बमरौली में भी एक ग्लास फैक्ट्री चलती थी। लेकिन अब उसका भी संचालन लगभग ठप सा है। बारा तसहील क्षेत्र में सिलिका की पहाड़ियों से सैंड का अधिकतर खनन शंकरगढ़ के राजा करवाते थे। क्योंकि वहां पर उनकी ही जमीनें थे। इसका राजस्व प्रदेश सरकार को बहुत कम मिलता था। इसलिए वह मामला हाईकोर्ट पहुंचा और 2014 के साथ राजा के अधीन खनन बंद हो गया है। उस क्षेत्र में कुछ पट्टे दशकों पुराने खनन विभाग से भी दिए थे। अभी उनमें से सात में खनन हो रहा है। चूंकि खनन के कई क्षेत्र खाली पड़े थे, इसलिए अब उनमें से 170 हेक्टेयर क्षेत्र चिह्नित करके खनन का टेंडर जारी किया गया है। डीसम संजय कुमार खत्री ने बताया कि पहली बार आनलाइन टेंडर जारी किया है। इसमें 18 नवंबर तक आवेदन कर सकते हैं।
कहां से होगा खनन
खनन के लिए शंकरगढ़ के गांव छतेहरा और घुरेहरा के पांच स्थल चिह्नित किए गए हैं। इसमें 38-38 हेक्टेयर के दो क्षेत्र है। इसके अलावा पांच, चार और दस हेक्टेयर के क्षेत्र बनाए गए हैं। असवां गांव में 15 और 16 हेक्टेयर के दो स्थल चिह्नित किए गए हैं। धरा में 17 हेक्टेयर और बाकीपुर गांव में 23 हेक्टेयर का क्षेत्र खनन के लिए चुना गया है। क्या है सिलिका सैंड
सिलिस सैंड एक प्रकार का बालू है। इसे पहाड़ को चूरकर करके बनाया जाएगा। शंकरगढ़ में सिलिका की पहाड़ियों को तोड़कर उसे वासिग प्लांट में धोया जाता है। यह सफेद रंग का होता है। इसे बोरियों में पैक करके शीशा फैक्ट्रियों में बेचा जाता है।