Move to Jagran APP

बेमिसाल रही यह तरकीब, कोरोना पॉजीटिव होने पर सिद्धार्थ ने ऑक्सीजन के लिए गैलरी से बेडरूम तक रखे गमले

अपना अधिकांश समय इन्हीं पौधों के बीच देते हैं। प्रत्येक सुबह और शाम इनके बीच बैठकर लंबी श्वांस लेते हैं। इससे बहुत लाभ मिलता है। बीमारी का एहसास तक खत्म हो चुका है। अब तो बच्चे भी इन पौधों के साथ अपना समय बिता रहे हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 07:00 AM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 07:00 AM (IST)
बेमिसाल रही यह तरकीब, कोरोना पॉजीटिव होने पर सिद्धार्थ ने ऑक्सीजन के लिए गैलरी से बेडरूम तक रखे गमले
गमले में लगाए औषधीय व फूल पत्तियों के 500 पौधे, कोविड पॉजिटिव होने पर महसूस की पौधों की अहमियत

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना ने बहुत कुछ हमसे छीन लिया है। चलती फिरती जिंदगी ठहर सी गई है। बच्चे एक साल से घर में हैं। उनका स्कूल जाना, खुले मैदान में खेलना तक खत्म हो चुका है। अन्य लोग भी डरे सहमे से हैं। इन सब के बीच यदि कुछ अच्छा हो रहा है तो वह यह कि अधिकांश लोग प्रकृति के करीब जाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए अपने घर आंगन या बगीचे में तो पौधे लगा ही रहे हैं, कमरों में भी पौधे वाले गमले रख रहे हैं। ऐसा इसलिए कि शुद्ध हवा मिले और वातावरण में आक्सीजन की कमी न महसूस हो। इन्हीं में से एक हैं, झूंसी निवासी सिद्धार्थ कुमार हाई कोर्ट में सेक्सन आफीसर हैं।

loksabha election banner

गमलों में पौधों देखभाल में गुजारा समय
कहते हैं कि कुछ दिन पहले उनकी रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आ गई थी। इस दौरान वह आइसोलेट रहे फिर भी ज्यादातर समय वह गमलों के पौधों की देख रेख में देते थे। भाप, काढ़ा, योग व कसरत करते हुए डॉक्टर के सुझाव के साथ दवा भी लेते रहे और 10 दिन के भीतर स्वस्थ हो गए। उसके बाद से पौधों के प्रति लगाव और बढ़ गया। पहले घर में करीब 100 गमले थे लेकिन अब यह संख्या 500 पहुंच चुकी है। इन गमलों में तुलसी, एलोविरा, आंवला, अजवाइन, मीठी नीम, शमी, गिलोय जैसे औषधीय पौधे भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कई रंग के गुलहड़, गुलाब, डहेलिया, राखी पुष्प, कमल, सूर्यमुखी, बेला, नरगिस, रातरानी आदि भी लगे हैं। कई सजावटी पौधे जैसे क्रोटन, ग्लैडिया, कैक्टस की भी तमाम प्रजातियां लगी हैं। यह गमले गेट के पास से लेकर बरामदे, कमरों व छतों तक फैले हैं। इसकी वजह यह कि वातावरण में आक्सीजन की पर्याप्त मात्रा बनी रही।

हर सुबह पौधों के बीच बैठकर लेते हैं गहरी सांस
सिद्धार्थ कहते हैं कि पौधों से तो पहले भी लगाव रहा है लेकिन कोरोना काल में इसकी जरूरत और बढ़ गई है। हर तरफ लोग आक्सीजन के लिए भागदौड़ करते दिख रहे हैं। यही सोचकर हमने घर में गमलों और पौधों की संख्या बढ़ा दी है। अपना अधिकांश समय इन्हीं पौधों के बीच देते हैं। प्रत्येक सुबह और शाम इनके बीच बैठकर लंबी श्वांस लेते हैं। इससे बहुत लाभ मिलता है। बीमारी का एहसास तक खत्म हो चुका है। अब तो बच्चे भी इन पौधों के साथ अपना समय बिता रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.