Move to Jagran APP

स्वच्छता अभियान को झटका, प्रतापगढ़ में 138 सामुदायिक शौचालयों के निर्माण पर संकट

ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय बनाने के लिए छह लाख 10 हजार रुपये प्रति यूनिट की लागत से सामुदायिक शौचालय बनाए जाने थे। अधिकांश का कार्य पूरा हो चुका है। फोटो भी वेबसाइट पर अपलोड हो गई लेकिन अभी भी 138 का निर्माण अधूरा पड़ा है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 03:34 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 03:34 PM (IST)
स्वच्छता अभियान को झटका, प्रतापगढ़ में 138 सामुदायिक शौचालयों के निर्माण पर संकट
सामुदायिक शौचालय नहीं बनाए जाने से खुले में शौच करने को मजबूर ग्रामीण

प्रतापगढ़, जेएनएन। स्वच्छ भारत मिशन के तहत जनपद के एक हजार 193 ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय बनाने की योजना थी। अधिकांश का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। 138 शौचालयों का आठ करोड़ 23 लाख रुपये ग्राम पंचायतों के खाते से निकाल लिया गया। ऐसे में निर्माण कार्य पर संकट बना हुआ है। निर्माण कार्य पूरा न होने से अफसरों की किरकिरी हो रही है।

loksabha election banner

प्रतापगढ़ जिले में 17 ब्लाक हैं। इसके सापेक्ष एक हजार 193 ग्राम पंचायतें हैं। ग्राम पंचायतों में सामुदायिक शौचालय बनाने के लिए छह लाख 10 हजार रुपये प्रति यूनिट की लागत से सामुदायिक शौचालय बनाए जाने थे। अधिकांश का कार्य पूरा हो चुका है। फोटो भी वेबसाइट पर अपलोड हो गई, लेकिन अभी भी 138 का निर्माण अधूरा पड़ा है। इनमें कई का तो काम ही नहीं शुरू हो सका। शौचालय का निर्माण पूरा न होने वालों में आसपुर देवसरा के बैजलपुर, हरि का पूरा, भरोखन, दफरा, धरौली, महुली, गोविंदपुर, पीथापुर, रामपुर नेवादा, रतीपुर, सेतापुर, अकारीपुर, बाबा बेलखरनाथ धाम के गोई, गोपालपुर, गहरीचक, सराय शंकर, सिंगठी खालसा व यहियापुर शामिल है। इसी तरह से बाबागंज के खनवारी, बिहार के मलाक तिल्हाई, भावनपुर, छतहर, कर्माजीत पट्टी, कोर्रही, सराय इंद्रावत, लोचनगढ़, रोर, सराय महासिंह, उमरापट्टी में भी शौचालय नहीं मिला। इसी क्रम में सदर के कादीपुर, नसीरपुर, किशुनदासपुर, कोंपा, पूरे माधवसिंह, लोहंगपुर संडवा चंद्रिका ब्लाक के शिवराजपुर व सांगीपुर के मुरैनी, सेमरा व अमीशंकरपुर में भी शौचालय की दरकार है। इसी तरह से अन्य ब्लाकों में मिलाकर कुल 138 सामुदायिक शौचालयों का पैसा निकल गया, लेकिन काम पूरा नहीं हुआ। दैनिक जागरण की टीम सदर ब्लाक के लोहंगपुर गांव पहुंची तो देखा शौचालय का निर्माण मानक के विपरीत हुआ था। नाम तक अंकित नहीं किया गया है। इसी तरह से मंगरौरा ब्लाक के परसरामपुर में शौचालय की सीट अभी तक नहीं लगाई गई। इसके अलावा अन्य कई कार्य अधूरे पड़े हैं। वहीं सूर्यगढ़ जगन्नाथ गांव के शौचालय की आधी दीवार ही बनाई जा सकी है। इसके बाद से काम बंद है। स्वच्छ भारत मिशन के नोडल एवं अपर जिला पंचायत राज अधिकारी हेमचंद्र यादव ने बताया कि सूची निकाली गई है। जहां काम बंद चल रहा है। उन गांवों के सचिवों को चेतावनी दी जा रही है। जल्द ही निर्माण कार्य पूरा कराया जाएगा।

केंद्रीय वित्त व मनरेगा का मद शामिल

प्रत्येक शौचालय बनाने के लिए छह लाख 10 हजार रुपये के हिसाब से पैसा ग्राम पंचायत के खाते में भेजा गया था। इसमें केंद्रीय वित्त व मनरेगा से शौचालय बनाया जाना था। ग्राम प्रधानों व सचिवों की मिलीभगत से कार्य अधूरा पड़ा है।

प्रधान के विरोध के बाद खाते में वापस की गई रकम

सदर ब्लाक के पूरे माधव सिंह गांव में सामुदायिक शौचालय बनवाने के लिए पूर्व प्रधान राज नारायण और तत्कालीन सचिव उमेश द्विवेदी द्वारा खाते से करीब चार लाख निकाल लिए गए। महीनों बीत जाने के बाद भी सामुदायिक शौचालय का काम शुरू नहीं किया गया। लोग जब तक इस बात की आवाज उठाते इसी दौरान पंचायत चुनाव आ गया और गांव के प्रधान विनीत कुमार सिंह निर्वाचित हो गए। कार्यभार ग्रहण करने के बाद वर्तमान प्रधान को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने इसकी शिकायत जिलाधिकारी सहित अन्य उच्चाधिकारियों से की। आनन-फानन में सामुदायिक शौचालय के लिए निकाला गया पैसा एक फर्म द्वारा खाते में वापस कर दी गई। ग्राम प्रधान विनीत कुमार सिंह का कहना है कि खाते में जो रुपये आया है। वह एक फर्म द्वारा भेजा गया है। उसे सरकारी रुपये कैसे मान लूं। सामुदायिक शौचालय बनाने के लिए उच्चाधिकारियों से लिखित आदेश मांग रहा हूं, लेकिन अफसर कुछ जवाब नहीं दे रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.