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Shardiy Navratri 2020 : ...तो इस कारण 167 वर्षों में पहली बार प्रयागराज में नहीं सजेगा मां दुर्गा का दरबार

Shardiy Navratri 2020 इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से प्रयागराज में सार्वजनिक दुर्गापूजा समारोह नहीं मनाया जाएगा। ऐसा निर्णय बारवारी कमेटियों ने लिया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 28 Aug 2020 08:49 AM (IST)Updated: Fri, 28 Aug 2020 08:49 AM (IST)
Shardiy Navratri 2020 : ...तो इस कारण 167 वर्षों में पहली बार प्रयागराज में नहीं सजेगा मां दुर्गा का दरबार
Shardiy Navratri 2020 : ...तो इस कारण 167 वर्षों में पहली बार प्रयागराज में नहीं सजेगा मां दुर्गा का दरबार

प्रयागराज, जेएनएन। शारदीय नवरात्र पर इस बार भक्‍तों को मायूस होना पड़ेगा। ऐसा नहीं कि पूजन-अर्चन नहीं होगा पर सार्वजनिक दुर्गा पूजा समारोह के लिए भव्य पंडाल नहीं नजर आएंगे। दुर्गा पूजा के 167 वर्षों के इतिहास में यह पहला मौका होगा, जब पंडाल नहीं सजाया जाएगा। कोरोना वायरस के संक्रमण की भयावह स्थिति को देखते हुए बारवारी कमेटियों ने दुर्गा पूजा का आयोजन न कराने का निर्णय लिया है।

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भव्‍य पंडाल व मां दुर्गा की प्रतिमा के दर्शन को जुटती रही है भीड़

उल्‍लेखनीय है कि प्रयागराज में दुर्गा पूजा समारोह भव्‍यता से मनाया जाता रहा है। पूजा पंडालों को भव्य स्वरूप देने के लिए कोलकाता के कारीगर एक माह पहले से ही बुलाए जाते थे। यहां रुककर कलाकार दुर्गापूजा पंडालों को भव्‍य रूप देते थे। इन पंडालों का अवलोकन करने के लिए शारदीय नवरात्र में सुबह से देर रात तक भक्‍तों की भीड़ जुटती थी। हालांकि इस बार अभी तक न पंडाल बनाने का दौर शुरू नहीं शुरू हुआ और न ही मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने का आर्डर किसी कमेटी नहीं दिया।

कोरोना संक्रमण के कारण नहीं होगा दुर्गापूजा समारोह

अशोक नगर दुर्गा पूजा कमेटी के उपाध्यक्ष अमित नियोगी कहते हैं कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण दुर्गापूजा समारोह सार्वजनिक रूप से न कराने का निर्णय लिया गया है। वहीं कर्नलगंज बारवारी दुर्गा पूजा सोसायटी के सलाहकार शंकर चटर्जी बताते हैं कि दुर्गापूजा का इस बार 167वां साल था। यह पहला मौका है जब मां दुर्गा की प्रतिमा नहीं स्थापित होगी। इसी क्रम में भारद्वाजपुरम् दुर्गा पूजा कमेटी का अबकी 30वां साल है। कमेटी के संयुक्त सचिव राना चंद्रा का कहना है कि सिर्फ घट पूजन कराएंगे।

पंडाल नहीं सजाया जाएगा

वहीं लूकरगंज बारवारी दुर्गा पूजा कमेटी के वरिष्ठ सदस्य अमल डे ने बताया कि इस बार पूजा का 114वां साल था। अब सिर्फ कलश स्थापित होगा। बाई का बाग दुर्गा पूजा का अबकी 95वां साल था। पूजा प्रभारी जयदीप गांगुली ने बताया कि पंडाल नहीं सजाया जाएगा। मीरापुर बारवारी दुर्गा पूजा कमेटी के सचिव अनूप मित्रा व सिविल लाइंस दुर्गा पूजा कमेटी के संयुक्त सचिव असीम रॉय ने बताया कि दुर्गा पूजा न कराने का निर्णय लिया गया है।

सिर्फ घट पूजा होगी

कमेटियों की ओर से सिर्फ घट का पूजन किया जाएगा। पूजा का क्रम न टूटने पाए उसके लिए कलश स्थापित करके विधि-विधान से पूजन किया जाएगा।

यह रहा है प्रयागराज में दुर्गापूजा का इतिहास

ब्रिटिश हुकूमत 1810 के बाद तेजी से अपना विस्तार कर रही थी। बंगाल से पढ़े-लिखे लोगों को प्रयागराज लाए थे। उन्हें टैगोर टाउन, जार्जटाउन, लूकरगंज आदि मुहल्लों में बसाया गया। स्थानीय लोग उन्हें 'बाबू' के नाम से संबोधित करते थे। बंगाली परिवार नवरात्रि में घट की स्थापना करके मां काली व भगवती की पूजा करते थे। फिर 1853 में सार्वजनिक दुर्गा पूजा कर्नलगंज कमेटी का गठन स्व. रामचंद्र बनर्जी के आवास पर किया गया। भारद्वाज आश्रम के पास पंडाल सजाकर भव्यता से पूजा की कराई गई। इसके बाद पूजा का क्रम लगातार बना था। बंगाली समाज के अलावा धीरे-धीरे अन्य लोग भी पूजा में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने मौजूदा समय शहर में दो दर्जन से अधिक दुर्गा पूजा कमेटियां हैं।


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