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सात महीने बाद भी 'लाइफलाइन' ठप, मुश्किल हुआ सफर

कोरोना संक्रमण की शुरुआत से ही लोकल ट्रेनें बंद है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 12:14 AM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 12:14 AM (IST)
सात महीने बाद भी 'लाइफलाइन' ठप, मुश्किल हुआ सफर
सात महीने बाद भी 'लाइफलाइन' ठप, मुश्किल हुआ सफर

अतुल यादव, प्रयागराज

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कोरोना संक्रमण की शुरुआत से ही लोकल ट्रेनें बंद है। प्रयागराज जंक्शन, प्रयाग और रामबाग से चारों दिशाओं के लिए लोकल ट्रेनें है। इनसे रोजाना हजारों लोगों को आवागमन होता था। इसके जरिए आसपास जिलों के लोग आते जाते थे और उनका रोजगार चलता था। यह ट्रेनें लाइफलाइन का काम करती थीं, लेकिन इनके बंद होने से लोगों को दूसरे साधनों यानि बस, टेंपो, मैजिक या निजी वाहनों से आना जाना पड़ता है, जो महंगा पड़ रहा है।

मार्च में कोविड की चेन तेजी से बढ़ रही थी। इस पर नियंत्रण के लिए लॉकडाउन लागू किया गया था। तभी से ट्रेन के पहिए भी थमे हैं। स्थितियां सुधरीं तो मुंबई समेत तमाम शहरों में लोकल ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया गया, लेकिन उत्तर रेलवे के प्रयाग जंक्शन से संचालित होने वाली 17 जोड़ी ट्रेनों का संचालन अब तक शुरू नहीं किया जा सका है। जौनपुर, प्रतापगढ़, रायबरेली, अयोध्या समेत आसपास जिले से करीब छह-सात हजार यात्री प्रतिदिन यात्रा करते थे। उन्हें अब निजी साधन से सफर करना पड़ रहा है। उधर, प्रयागराज सिटी (पहले रामबाग सिटी) से चार जोड़ी पैसेंजर ट्रेनें चलाई जाती थीं, जो कोरोनाकाल में बंद हैं। यहां से करीब तीन हजार लोग प्रतिदिन आवागमन करते थे। वहीं, प्रयागराज जंक्शन से झांसी, चुनार-चोपन पैसेंजर और सूबेदारगंज से पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के लिए पैसेंजर ट्रेन चलाई जाती थी। इससे प्रतिदिन करीब दो हजार यात्री आवागमन करते थे। लोगों ने पैसेंजर ट्रेन चलवाने की मांग की है। यात्रियों के बोल

स्टोर के लिए दवा खरीदने प्रयागराज नहीं जा पा रहा हूं। ट्रेन नहीं मिलने से परेशानी हो रही है। कई बार निजी साधन भी नहीं मिलता है। मरीजों को भी लौटना पड़ रहा है।

अजय बिंद, मेडिकल स्टोर संचालक जंघई जंक्शन से आठ किलोमीटर दूर अदारी गांव से हाईकोर्ट आना पड़ता है। ट्रेन की सुविधा नहीं मिलने से मजबूरी में निजी साधन का सहारा लेना पड़ रहा है। यह काफी महंगा है।

अरुण यादव, अधिवक्ता निजी कंपनी में काम करते हैं। प्रतापगढ़ के रामपुर बावली से प्रतिदिन आना-जाना पड़ता है। कोरोनकाल में लोकल ट्रेन न चलने से परेशानी हो रही है। निजी साधन महंगा पड़ रहा है।

दिनेश पांडेय फूलपुर से अक्सर कचहरी और हाईकोर्ट में पैरवी करने के लिए आना पड़ता है। पैसेंजर ट्रेन नहीं चलने से निजी साधन से जाना पड़ रहा है। और स्थानीय लोगों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

सै. नदीम अहमद, अधिवक्ता

रेल मंत्री से वार्ता करके स्पेशल ट्रेन चलवाने का प्रयास किया जाएगा। ताकि दैनिक यात्रियों को दिक्कत न हो। उम्मीद है कि कोई समाधान निकल आएगा।

केशरी देवी पटेल, सांसद


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