Move to Jagran APP

प्रयागराज के वरिष्ठ कवि अजीज जौहरी की ट्रेन की चपेट में आने से मौत, साहित्‍यकारों में शोक की लहर

वरिष्‍ठ कवि अजीज जौहरी किसी काम से अपने घर से बाहर निकले थे। रेलवे लाइन पार करते समय रेलगाडी की चपेट में आने से उनकी मौत हो गई। परिवार के लोगों को पता चला तो बिलखते हुए पहुंचे। प्रयागराज के साहित्‍यकारों में उनके निधन से शोक की लहर है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 19 Aug 2022 02:54 PM (IST)Updated: Fri, 19 Aug 2022 03:16 PM (IST)
प्रयागराज के वरिष्ठ कवि अजीज जौहरी की ट्रेन की चपेट में आने से मौत, साहित्‍यकारों में शोक की लहर
अजीज जौहरी खासतौर पर देशभक्ति गीत लिखने के लिए जाने जाते थे।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज के वरिष्ठ कवि अजीज जौहरी का निधन हो गया है। गुरुवार को रेलगाड़ी की चपेट में आने की वजह से उनकी मौत हुई। रेलवे ट्रैक किनारे उनका शव मिला। शुक्रवार की शाम शुतुरखाने की कब्रिस्तान में उनको सुपुर्दे-खाक किया जाएगा। हालांकि उनके निधन को लेकर चर्चाएं भी हैं।

loksabha election banner

रेलवे लाइन पर शव मिला : कवि अजीज जौहरी गुरुवार देर शाम घर से निकले थे लेकिन फिर वापस नहीं लौटे। कई घंटे तक जब वह नहीं आए तो घरवालों ने उनकी तलाश शुरू की। इसी बीच किसी ने आकर बताया कि घर के पास स्थित रेलवे लाइन पर अजीज जौहरी ही लाश पड़ी है। घरवाले मौके पर पहुंचे। कुछ देर बाद जीआरपी प्रयाग के थाना प्रभारी भी पहुंचे।

जीआरपी इंस्‍पेक्‍टर बोले- नहीं मिला सुसाइड नोट : शहर में कर्नलगंज के ऊंट खाना इलाके के रहने वाले 73 वर्षीय कवि अजीज जौहरी के निधन को लेकर चर्चाएं भी हैं। आत्‍महत्‍या की बात कही जा रही है। आत्महत्या क्यों किया इस बारे में कोई कुछ नहीं बता सका। हालांकि इन चर्चाओं पर जीआरपी ने विराम लगाया। प्रयाग जीआरपी प्रभारी ने सुसाइड नोट मिलने से इंकार किया है। प्रयागराज जीआरपी के इंस्पेक्टर ने भी सुसाइड नोट मिलने से इनकार किया है।

एयरफोर्स के एमईएस में गैरिजन इंजीनियर पद से रिटायर हुए थे : कवि अजीज जौहरी के परिवार में पत्नी, एक पुत्र और तीन पुत्रियां हैं। सभी पुत्रियों का विवाह हो चुका है। 01 अप्रैल 1950 को जन्मे अजीज जौहरी एयरफोर्स के एमईएस विभाग में बतौर गैरिजन इंजीनियर कार्य करते हुए सेवानिवृत्त हुए थे।

देशभक्ति गीत लिखने से बनी खास पहचान : अजीज जौहरी खासतौर पर देशभक्ति गीत लिखने के लिए जाने जाते थे। ‘वतन है जिंदगी’ और ‘खूबसूरत दिन के लिए’ नामक उनकी दो पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। समय-समय पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।

साहित्‍सकारों ने जताया दुख : गुफ्तगू पत्रिका के अध्यक्ष इम्तियाज अहमद गाजी, प्रभाशंकर शर्मा, शाहिद सफ़र, नरेश महरानी, मनमोहन सिंह तन्हा, अनिल मानव, हकीम रेशादुल इस्लाम, नीना मोहन श्रीवास्तव, अर्चना जायसवाल, अशोक श्रीवास्तव ‘कुमुद’, संजय सक्सेना, शिवाजी यादव, डा. मधुबाला सिन्हा, डा. राकेश तूफान आदि ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.