शहीद उधम सिंह के जीवन पर बनी फिल्म 'सरदार उधम' की स्क्रीनिंग, जानें क्या है विशेषज्ञों की राय
क्रांतिकारी उधम सिंह पर आधारित सरदार उधमसिंह फिल्म की स्क्रीनिंग इलाहाबाद सिनेफाइल्स ने साप्ताहिक फिल्म शो और बातचीत कार्यक्रम के तहत की। इसमें सिनेफाइल्स के लोगों ने विचार रखे। अमित ने कहा कि फिल्म में निर्देशक ने बखूबी उधम सिंह के वैचारिक पहलू को पर्दे पर उकेरा है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद सिनेफाइल्स की ओर से 'साप्ताहिक फिल्म शो और बातचीत' कार्यक्रम के तहत सरदार उधम फिल्म की स्क्रीनिंग की गई। इलाहाबाद सिनेफाइल्स के अमित ने कहा कि फिल्म कला का ऐसा रूप है, जिसे जनमानस में सबसे ज्यादा जगह मिलती है। आज कल ज्यादातर फिल्में फूहड़ता और अश्लीलता को समेटे हुए हैं। ऐसे में सरदार उधम जैसी फिल्में मनोरंजन जगत में व्याप्त उपभोक्तावाद से आगे जाकर दर्शकों के बीच इतिहास के उजले पक्ष को पहुंचा रही हैं। यह फिल्म विचारोत्तेजक है।
इलाहाबाद सिनेफाइल्स का 'साप्ताहिक फिल्म शो और बातचीत'
विमर्श में अमित ने कहा कि अक्सर होता यह है कि क्रांतिकारियों के जीवन पर बनने वाली फिल्मों में बहादुरी के पक्ष को तो खूब दिखाया जाता है लेकिन वैचारिक पहलू उभर कर दर्शकों के सामने नहीं आ पाते हैं। 'सरदार उधम' फिल्म में निर्देशक ने बखूबी उधम सिंह के वैचारिक पहलू को पर्दे पर उकेरा है। चाहे वो भगत सिंह से उधम सिंह का संपर्क हो या ब्रिटिश क्रांतिकारियों से या फिर गदर पार्टी से उधम सिंह का संपर्क। हर चीज बेहद सहज और शानदार तरीके से दिखाया गया है।
वैचारिक पहलुओं को समेटती है ये फिल्म
अमित ने बताया कि उधम सिंह भारतीय राष्ट्रीय मुक्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय संपर्क व समर्थन जुटाने की कोशिश करते हैं। इसके साथ ही हिंदू-मुस्लिम-सिख एकता के लिए उधम सिंह द्वारा अपना नाम 'राम मोहम्मद सिंह आजाद' बताना व अंग्रेजों द्वारा इस नाम पर चर्चा करना, इन सभी वैचारिक पहलुओं को यह फिल्म समेटती है। फ़िल्म को देखते समय बात स्वतः स्पष्ट होने लगता है कि उधम सिंह द्वारा माइकल ओ डायर की हत्या महज बदले की भावना से काम नहीं की गई बल्कि उनके काम के पीछे एक उच्च लक्ष्य और विचारधारा थी जो उन्हें भगत सिंह व एचएसआरए के संपर्क में आने से मिली थी।
विक्की कौशल ने किरदार को बखूबी निभाया
उधम सिंह का किरदार निभाने वाले विक्की कौशल ने इस किरदार से पूरा न्याय किया है। जलियांवाला बाग हत्या कांड को जिस मार्मिक तरह से उकेरा गया है उससे उसकी याद ताज़ी हो जाती है और फ़िल्म इस घटना पर जो संदेश देना चाहती है उसे लोगों तक पहुचने में सफल हो जाती है। फिल्म शो में अंशुरीश, दिव्यांशु, चन्द्रप्रकाश, अवंतिका, चांदराज, आज़ाद, विकास, शिवा, रजनीश, राहुल, रामशंकर, प्रसेन, अविनाश, सुजीत,नीशू, अaबरीश, धर्मराज, अंबिका, रोमित आदि लोग मौजूद रहे।