माघ मेले से पहले दूर खिसक गया संगम
इस बार संगम में डुबकी लगाने के लिए शहर की ओर से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को काफी दूर चलना पड़ेगा। संगम पिछले बार की तुलना में इस बार करीब दो सौ मीटर पूरब की ओर बढ़ा है। पश्चिम यानी अक्षयवट की ओर ज्यादा जगह निकली है। इससे प्रशासन को काफी राहत मिलेगी। तीर्थ पुरोहितों का भी मानना है कि पश्चिम की ओर ज्यादा जगह होने पर अमृत वर्षा होती है।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज : इस बार संगम में डुबकी लगाने के लिए शहर की ओर से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को काफी दूर चलना पड़ेगा। संगम पिछले बार की तुलना में इस बार करीब दो सौ मीटर पूरब की ओर बढ़ा है। पश्चिम यानी अक्षयवट की ओर ज्यादा जगह निकली है। इससे प्रशासन को काफी राहत मिलेगी। तीर्थ पुरोहितों का भी मानना है कि पश्चिम की ओर ज्यादा जगह होने पर अमृत वर्षा होती है।
प्रयागवाल सभा के महामंत्री राजेंद्र पालीवाल ने बताया कि माघ मेला शुरू होने को है और संगम दिनोंदिन खिसक रहा है। पिछले साल की तुलना में करीब दो सौ मीटर संगम पूरब की ओर खिसका है। पश्चिम की ओर यानी अक्षयवट मार्ग व जगदीश रैंप मार्ग पर ज्यादा जमीन निकली है। अक्षयवट मार्ग पर करीब दो बीघे की जमीन निकली है। मान्यता है कि संगम माघ मेले के समय अगर पश्चिम की ओर ज्यादा जमीन छोड़ता है तो अमृत वर्षा होती है। वहीं प्रशासन को बाहर से आए श्रद्धालुओं को स्नान करने में मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी, क्योंकि बाहर से आने वाले श्रद्धालु संगम में स्नान करना चाहते हैं। ज्यादा जमीन होने पर बड़े आसानी से मेला अधिकारी श्रद्धालुओं को स्नान करा सकेंगे। नदियों का पानी साफ होने से बहाव तेज
प्रयागवाल सभा के यमुनापार अध्यक्ष राजेश तिवारी ने बताया कि पिछले वर्षो की तुलना में गंगा और यमुना का पानी साफ हुआ है। उन्होंने बताया कि पहले 2018-19 में कुंभ के दौरान शासन की ओर से गंदगी बहाने पर रोक लगाई गई। इसके बाद से नदियों का पानी साफ हुआ। पानी साफ होने से ही बहाव तेज हुआ है। इसके चलते पूरब की ओर कटान हो रहा है। पूरब में संगम का खिसकना माना जा रहा शुभ
तीर्थ पुरोहित का मानना है कि पूरब की ओर संगम का बढ़ना शुभ के संकेत हैं। प्रयागवाल सभा के यमुनापार के अध्यक्ष व तीर्थ पुरोहित राजेश तिवारी ने बताया कि कुंभ के समय भी करीब-करीब संगम इसी स्थान पर था, जहां इस बार है। 2014-15 में संगम पश्चिम की ओर खिसका था।