एसआरएन अस्पताल में कैदियों की तरह खाने को कतार में खड़े रहते हैं तीमारदार Prayagraj News
हाथ में थाली रहती है और उन्हें खाने का इंतजार होता है। कुछ ऐसा ही हाल एसआरएन अस्पताल में इधर नजर आ रहा था। मरीजाें को खाना उनके बेड तक पहुंचाने के नियम की अनदेखी हो रही है।
प्रयागराज, जेएनएन। स्वरूपरानी नेहरू (एसआरएन) अस्पताल में रोगी किचेन के बाहर तीमारदार खाने के लिए हाथों में थाली लेकर खड़े रहते हैं। यह अक्सर देखने को मिलता है। यह दृश्य देखने वालों के मुंह से सहसा यही बात निकलती है कि यह तो जेल के कैदियों जैसी स्थित नजर आती है। कैदियों की तरह खाने के लिए तीमारदार कतार में खड़े रहते हैं। हालांकि मरीजों की बेड तक खाना भेजने का नियम है।
माड्यूलर किचेन तो बन गया लेकिन अब गुणवत्तायुक्त खाना कैसे पहुंचे
कुंभ के दौरान मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज से संबद्ध एसआरएन अस्पताल में माड्यूलर किचेन तो बन गया। हालांकि मरीजों को गुणवत्तायुक्त खाना उनके बेड तक कैसे पहुंचाया जाय इसका प्रबंध नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में मरीज के साथ तीमारदारों की भी फजीहत हो रही है। इन तीमारदारों को खाने के लिए प्रतिदिन घंटों संघर्ष करना होता है। 11 बजे से ही तीमारदार खाने के लिए किचेन के बाहर थाली व अन्य बर्तन लेकर पहुंच जाते हैं। पिछले सोमवार तक यह स्थिति थी कि मरीजों का बर्तन एक क्रम से किचेन के बाहर रखवा दिया जाता था। जब खाना बंटना शुरू होता तो सबके बर्तनों में खाना परोस दिया जाता था।
तीमारदारों को कतार में खड़ा कराया जा रहा
दैनिक जागरण ने 'ये थाली नहीं, मरीजों के भूख की लाइन है' शीर्षक से खबर प्रमुखता से प्रकाशित किया तो बर्तन रखने के बजाय तीमारदारों को कतार में खड़ा करा दिया गया। यही कारण है कि अधिकांश ऐसे भी तीमारदार हैं जो खाने के लिए लाइन लगाना उचित नहीं समझते हैं और वे बाहर से खाना मंगा लेते हैं।
बोले मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य
इस संबंध में मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह का कहना है कि मैन पावर की कमी है, जिससे यह दिक्कतें हो रही हैं। प्रयास किया जा रहा है कि मरीजों के बेड तक खाना पहुंचाया जाए।
नहीं है कोई डायटीशियन
इतने बड़े एसआरएन अस्पताल में एक डायटीशियन भी नहीं है, जो यह बताए कि किस मरीज को किस तरह का खाना दिया जाना है। यहां तो नर्स ही बता देती हैं कि मरीज को क्या देना है।