कर मुक्त वस्तुओं के बचे स्टॉक पर ली जा रही RITC, वाणिज्यकर कमिश्नर से कारोबारियों ने की फरियाद
जीएसटी लागू होने पर कई ऐसी वस्तुएं कर मुक्त कर दी गईं जो वैट में कर के दायरे में थीं। ऐसे में करमुक्त वस्तुओं के जो स्टॉक व्यापारियों के पास शेष बचे रह गए थे सरकार ने उन वस्तुओं की आइटीसी समाप्त कर दी। उसका लाभ व्यापारियों को नहीं मिलेगा।
प्रयागराज, जेएनएन। मूल्य संर्विधत कर (वैट) के तहत जिस वस्तु पर टैक्स लगता था उसमें से कई वस्तुएं जीएसटी में करमुक्त हो गई हैं। लेकिन, उन वस्तुओं के जो स्टॉक शेष बचे हैं उस पर व्यापारियों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आइटीसी) तो नहीं मिलेगी मगर, अफसर रिवर्स इनपुट टैक्स क्रेडिट (आरआइटीसी) वसूल रहे हैं। इससे व्यापारियों पर करदेयता तय की जा रही है। व्यापारिक संगठनों ने आरआइटीसी वसूली पर रोक लगाने की मांग वाणिज्यकर कमिश्नर से की हैं।
वैट के बचे स्टॉक पर सरकार ने समाप्त कर दिया इनपुट टैक्स क्रेडिट
जीएसटी लागू होने पर कई ऐसी वस्तुएं करमुक्त कर दी गईं जो वैट में कर के दायरे में थीं। ऐसे में करमुक्त वस्तुओं के जो स्टॉक व्यापारियों के पास शेष बचे रह गए थे सरकार ने उन वस्तुओं की आइटीसी समाप्त कर दी। उसका लाभ व्यापारियों को नहीं मिलेगा। विभागीय अफसर उन करमुक्त वस्तुओं के शेष बचे स्टॉक पर आरआइटीसी लगाकर व्यापारियों को भेज रहे हैं। इससे उन्हें आइटीसी का लाभ भले न मिला हो मगर, उन्हें टैक्स जमा करना पड़ रहा है। इलाहाबाद गल्ला तिलहन व्यापार मंडल के अध्यक्ष सतीश केसरवानी का कहना है कि जीएसटी में गल्ला करमुक्त है फिर भी व्यापारियों से आरआइटीसी ली जा रही है।
बोले, उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति के संयोजक
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार कल्याण समिति के संयोजक संतोष पनामा का दावा है कि अधिनियम में आरआइटीसी लेने का प्रविधान नहीं है। फिर भी अफसर करारोपण कर रहे हैं, जो नियम विरुद्ध है। इस संबंध में नौ अप्रैल को आईं कमिश्नर वाणिज्यकर को ज्ञापन सौंपा गया था। उन्होंने जल्द निर्णय लेने का आश्वासन दिया था। वहीं, मामले में विभागीय अफसरों का कहना है कि यह विधिक प्रक्रिया है और यह काम पूरे प्रदेश में हो रहा है। लिहाजा, कमिश्नर का जो आदेश होगा, उसके अनुसार आगे कार्रवाई होगी।