इंतकाल से पहले खुद के लिए मकबरे का इंतजाम, जमीन के लिए मुंह मांगी कीमत भी देने को तैयार
अवकाश प्राप्त 77 वर्षीय पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल सैय्यद मोअज्जम अली कहते हैैं कि अंतिम समय शांति से जाऊं इसलिए जिंदा रहते ही मकबरे का निर्माण कराना चाहता हूं। उन्होंने कब्रिस्तान से सटी स्टेटलैंड की ढाई गज जमीन मांगी है क्योंकि मकबरे के लिए इतनी ही जमीन चाहिए।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज शहर में मेंहदौरी निवासी अवकाश प्राप्त लेफ्टिनेंट कर्नल सैय्यद मोअज्जम अली इंतकाल से पहले ही अपने लिए मकबरे का इंतजाम कर लेना चाहते हैं। उन्हें सिर्फ ढाई गज जमीन की जरूरत है। इसके लिए उन्होंने जिलाधिकारी, प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) उपाध्यक्ष और एसडीएम (सदर) के पास 15 अक्टूबर 2019 को फरियाद की थी। वह जमीन की मुंह मांगी कीमत देने तैयार हैं, लेकिन, सवा साल बाद भी कहीं से सुकूनदेह जवाब नहीं मिला है। उपजिलाधिकारी (सदर) अजय नारायण सिंह कहते हैैं कि मकबरे, मंदिर आदि के लिए सरकारी जमीन नहीं दी जा सकती।
सैय्यद मोअज्जम अली मूलरूप से हमीरपुर जिले के कजियाना मोहल्ले के निवासी हैं। वह यहां ओल्ड कैंट में लेफ्टिनेंट कर्नल पद से वर्ष 1996 में सेवानिवृत्त हुए। मेंहदौरी में प्राइमरी स्कूल के बगल मकान बनवाकर रहने लगे और अब संगमनगरी के बाशिंदे हैैं। मेंहदौरी में ही कब्रिस्तान है लेकिन वहां मिट्टी खोदकर ही दफनाने की अनुमति है। इस कब्रिस्तान में अब जगह नहीं बची है, पत्नी सुल्ताना परवीन का 14 अगस्त 2016 को इंतकाल हुआ था और उन्हें दफनाने में बड़ी मुश्किल हुई थी।
स्टेटलैंड की ढाई गज जमीन मांगी : अवकाश प्राप्त 77 वर्षीय पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल सैय्यद मोअज्जम अली कहते हैैं कि 'अंतिम समय शांति से जाऊं, इसलिए जिंदा रहते ही मकबरे का निर्माण कराना चाहता हूं।' उन्होंने कब्रिस्तान से सटी स्टेटलैंड की ढाई गज जमीन मांगी है, क्योंकि मकबरे के लिए इतनी ही जमीन चाहिए। कहते हैैं कि उस जमीन का रास्ता कब्रिस्तान के बीच से है, इसलिए वहां किसी तरह का निर्माण भी नहीं हो सकता।
रखवाली को रखेंगे केयरटेकर : सैय्यद मोअज्जम अली की ख्वाहिश मकबरे की रखवाली के लिए 15-20 वर्षों तक केयरटेकर रखने की भी है। उनका दावा है कि कुछ जमीन सेना को आवंटित हुई है। उनका बेटा आस्ट्रेलिया में रहता है। दो बेटियों की शादी हो चुकी है। एक बेटी और बेटे के बच्चे यहीं हैं।
स्टेटलैंड किसी को बेची नहीं जा सकती : पीडीए के उपाध्यक्ष अंकित अग्रवाल ने कहा कि स्टेटलैंड के कस्टोडियन एसडीएम (सदर) हैं। स्टेटलैंड किसी को बेची नहीं जा सकती। शासन स्तर पर ही कोई निर्णय लिया जा सकता है। इसमें प्राधिकरण की कोई भूमिका नहीं है।