हालात बिगडऩे से बढ़ रही पाबंदियां, मुंबई, दिल्ली और नागपुर से कामगारों मे बस अपने गांव पहुंचने की चाह
जौनपुर के मुफ्तीगंज निवासी रवि चौहान बताते हैं कि वह नासिक में एक फैक्ट्री में काम करते थे। काम का हिसाब किए बगैर मालिक ने निकाल दिया। कहा कि हालात ठीक नहीं है घर जाओ। रोजगार छिनने के बाद वहां क्या करता। अब बस किसी तरह घर पहुंच जाएं।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना के लगातार बढ़ते संक्रमण की वजह से दिल्ली में लाकडाउन की अवधि अब पांच मई की सुबह पांच बजे तक कर दी गई है। ऐसे में प्रवासियों को डर है कि कहीं पिछली बार की तरह फिर लाकडाउन में न फंस जाएं। ऐसे में हर कोई बस अपने घर पहुंचना चाह रहा है। पूर्वांचल जाने वालों की भीड़ कम नहीं हो रही है। महानगरों से वे ट्रेन व बस से प्रयागराज पहुंच रहे हैं। यहां से रोडवेज की बस का सहारा लेकर निकल रहे हैं। दऱअसल, दिल्ली-मुंबई की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। दिल्ली, मुंबई, नागपुर व सूरत से प्रवासियों के लौटने का सिलसिला जारी है। रोजगार छिनने और रुपये न मिलनेे से परेशान होकर भी कुछ प्रवासियों ने घर की डगर पकड़ी।
नासिक में वेतन नहीं दिया, कहा हालात ठीक नहीं घर जाओ
जौनपुर के मुफ्तीगंज निवासी रवि चौहान बताते हैं कि वह नासिक में एक फैक्ट्री में काम करते थे। काम का हिसाब किए बगैर मालिक ने निकाल दिया। कहा कि हालात ठीक नहीं है घर जाओ। रोजगार छिनने के बाद वहां क्या करता। इसी उधेड़बुन में था कि अब बस किसी तरह घर पहुंच जाएं। इसके बाद आजीविका के लिए वहीं कोई छोटा काम भी कर लेंगे।
दोस्तों ने की आर्थिक मदद तो पहुंचे अपने शहर
भदोही के मंटू सिंह दिल्ली में मजदूरी करते थे। ठेकेदार ने महीनेभर की मजदूरी नहीं दी। घर जाने की बात कही तो महज 300 रुपये दिए। संकट की घड़ी में तीन दोस्त काम आए। उन्होंने 500 रुपये दिए। निजी बस चालक ने कानपुर में ही उतार दिया। किसी तरह वह प्रयागराज पहुंचे। अब मंटू का कहना है कि किसी तरह अपने परिवार के पास पहुंच जाएं।