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संकल्पों को लगेंगे पंख, शहर की और बदलेगी सूरत

होटल मिलेनियम इन का हाल। प्रयाग की समृद्ध थाती को समेटे मंच। अलग-अलग विधा के मर्मज्ञ जानकार और बुद्धजीवियों से भरा सभागार। गूंजती तालियों के बीच विकास बदलाव सजगता नवाचार के लिए प्रेरित और कुछ बेहतर करने का जोश व जज्बा सभी के चेहरे पर झलक रहा था। शिक्षा साहित्य स्वास्थ्य उद्योग और संगम से लेकर पर्यटन जैसे तमाम समीचीन विषय चर्चा का केंद्र रहे। नीति नियंता उसका अनुपालन कराने और करने वाले बदलाव की इस बयार को सुखद ढंग से निहारते और सुनते रहे। सुबह से लेकर शाम तक सभागार सकारात्मक नयी ऊर्जा का द्योतक रहा। वहां आसीन अधिकांश लोगों के मुख से यही शब्द निकले कि शहर में पहली दफा इस तरह के आयोजन में जो संकल्प लिए गए हैं उन्हें पंख जरूर लगेंगे। शहर की सूरत और भी बदलेगी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 02:14 AM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 02:14 AM (IST)
संकल्पों को लगेंगे पंख, शहर की और बदलेगी सूरत
संकल्पों को लगेंगे पंख, शहर की और बदलेगी सूरत

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : होटल मिलेनियम इन का हाल। प्रयाग की समृद्ध थाती को समेटे मंच। अलग-अलग विधा के मर्मज्ञ, जानकार और बुद्धजीवियों से भरा सभागार। गूंजती तालियों के बीच विकास, बदलाव, सजगता, नवाचार के लिए प्रेरित और कुछ बेहतर करने का जोश व जज्बा सभी के चेहरे पर झलक रहा था। शिक्षा, साहित्य, स्वास्थ्य, उद्योग और संगम से लेकर पर्यटन जैसे तमाम समीचीन विषय चर्चा का केंद्र रहे। नीति नियंता, उसका अनुपालन कराने और करने वाले बदलाव की इस बयार को सुखद ढंग से निहारते और सुनते रहे। सुबह से लेकर शाम तक सभागार सकारात्मक, नयी ऊर्जा का द्योतक रहा। वहां आसीन अधिकांश लोगों के मुख से यही शब्द निकले कि शहर में पहली दफा इस तरह के आयोजन में जो संकल्प लिए गए हैं, उन्हें पंख जरूर लगेंगे। शहर की सूरत और भी बदलेगी।

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दैनिक जागरण की ओर से आयोजित जागरण विमर्श कार्यक्रम ने प्रयागराज ही नहीं, वरन कौशांबी और प्रतापगढ़ के लोगों को भी नई पीढ़ी के लिए कुछ नया देने, सामाजिक सरोकार के बेहतर स्वरूप को निखारने और विकास के पथ में अवरोधक न बनने पर सोचने के लिए विवश कर दिया। उपमुख्यमंत्री के उद्बबोधन से शुरू हुए कार्यक्रम के बाद शिक्षा के मौजूदा स्वरूप और उसे रोजगार परक बनाने के विमर्श ने युवाओं, छात्रों को अलग संबल दिया। उद्योग की धुरी का पहिया नए तरीके से घुमाने पर मंथन चला तो साहित्य से जुड़े हस्तियों ने लोगों को हंसाते हुए खुले मन से विचार का स्वागत करवाया। प्रशासनिक अधिकारियों ने मंडल में योजनाओं को मूर्तरूप देने में सहभागिता की उम्मीद जताई तो पुलिस अधिकारियों ने सुरक्षा का एहसास कराते हुए सदैव तत्पर रहने की बात दोहराई। शाम को सभागार से निकलते वक्त शहर के मानिद लोगों ने विमर्श की परिकल्पना को साकार करने में अपनी भूमिका निभाने का भी वादा किया।


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