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दैनिक जागरण में ओडीएफ की हकीकत खबर की गूंज लखनऊ तक पहुंची, रिपोर्ट तलब Prayagraj News

ग्रामीण क्षेत्रों में निर्मित शौचालयों की हालत खराब है। आधे लोग भी इसका प्रयाग नहीं करते हैं। प्रोत्साहन राशि लेकर भी हजारों लोगों ने शौचालय नहीं बनवाए। अब उन पर कार्रवाई होगी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 09:37 AM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 09:37 AM (IST)
दैनिक जागरण में ओडीएफ की हकीकत खबर की गूंज लखनऊ तक पहुंची, रिपोर्ट तलब Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। ओडीएफ की पड़ताल करती दैनिक जागरण की विशेष रिपोर्ट को लेकर राजधानी लखनऊ तक हड़कंप मच गया है। दो अक्टूबर को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से ओडीएफ की घोषणा के बाद भी जिले के ज्यादातर गांवों में खुले में शौच की खबर को लेकर पंचायती राज विभाग के निदेशक ब्रह्मïदेव तिवारी ने नाराजगी जताई। उन्होंने जिले के अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है। साथ ही ब्लाकवार समीक्षा करने को कहा है। निदेशक ने गांवों में जिला स्तरीय अधिकारियों को भ्रमण कर शौचालयों की स्थिति की जानकारी लेने के निर्देश दिए हैैं। उन्होंने ओडीएफ को लेकर लापरवाही बरतने वाले अफसरों पर कार्रवाई के लिए कहा है।

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दैनिक जागरण ने ओडीएफ की हकीकत की खबर प्रकाशित की थी

दैनिक जागरण के रविवार के अंक में ओडीएफ की हकीकत की खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई। पूरे प्रदेश की स्थिति को लेकर बनाई गई विशेष रिपोर्ट में प्रयागराज में शौचालयों की हालत और अन्य बिंदुओं को खबर में समाहित किया गया था। अफसरों का दावा है कि अब तक आठ लाख से ज्यादा शौचालयों का निर्माण कराया गया है। मगर हकीकत यह है कि खुले में शौच का सिलसिला जारी है। गांवों में तो स्थिति बिल्कुल नहीं सुधर रही है। गांवों में आधे से ज्यादा लोग अब भी खुले में शौच जा रहे हैैं। काफी संख्या में तो शौचालय बनने के बाद जीर्ण-शीर्ण हालत में पहुंच गए हैैं।

कमीशनखोरी के चक्कर में आधे-अधूरे शौचालय ही बने

यही नहीं कई गांवों में तो कमीशनखोरी के चक्कर में आधे-अधूरे शौचालय ही बने। मानक के मुताबिक निर्माण न होने से वे उपयोग लायक भी नहीं हैैं। इसके अलावा सैकड़ों गांवों में पात्रों के बजाय अपात्रों को शौचालय दे दिया गया, जिससे अपात्र पैसा हजम कर गए और शौचालयों का निर्माण ही नहीं कराए। जो पात्र हैैं वे बिना प्रोत्साहन राशि के शौचालय बनवा नहीं सकते। ऐसे कई कारण हैैं जिससे ग्रामीण खुले में शौच जाने को मजबूर हैैं।

गांवों में शौचालयों के निर्माण में की गई गड़बड़ी की जांच हो रही

वैसे जिले के डेढ़ सौ से ज्यादा गांवों में शौचालयों के निर्माण में की गई गड़बड़ी की जांच चल रही है। दर्जनों गांवों की रिपोर्ट की फाइल डीएम कार्यालय में कार्रवाई का इंतजार कर रही है। कई गांवों में शौचालय देने में मनमानी की गई है। गांव की राजनीति के चलते प्रधान और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी ने पात्रों को शौचालय दिए ही नहीं, जिसके कारण वे खुले में ही शौच को जाते हैैं।


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