सामाजिक और पारिवारिक विघटन के खिलाफ धर्म को अस्त्र बनाएगा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
प्रयागराज के गौहनिया में पिछले दिनों हुई अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल (पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र) की बैठक में हिंदुओं में पारिवारिक व सामाजिक एकता को लेकर व्यापक मंथन हुआ था। निष्कर्ष यह सामने आया कि धर्म के जरिए समस्त कटुता व दूरी खत्म की जा सकती है।
प्रयागराज, जेएनएन। सनातन मतावलंबियों में बढ़ रहे सामाजिक-पारिवारिक विघटन को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राष्ट्रव्यापी अभियान चलाने का निर्णय लिया है। उन्हें एकता के सूत्र में पिरोने के लिए धर्म का सहारा लिया जाएगा। प्रवचन, भजन-पूजन, धार्मिक गोष्ठियों के जरिए धर्म का मर्म समझाया जाएगा। धर्म ही सर्वोपरि का भाव पैदा करने की कोशिश होगी। संघ का मानना है कि धर्म के प्रति समर्पण भाव जाग्रत होने से छुआछूत, ऊंच-नीच जैसी विकृतियां खुद दूर हो जाएंगी।
प्रयागराज के गौहनिया में पिछले दिनों हुई अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल (पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र) की बैठक में हिंदुओं में पारिवारिक व सामाजिक एकता को लेकर व्यापक मंथन हुआ था। निष्कर्ष यह सामने आया कि धर्म के जरिए समस्त कटुता व दूरी खत्म की जा सकती है। इसी क्रम में संघ ने धार्मिक आयोजनों को बढ़ाने का निर्णय लिया है। गांव, मोहल्ला व बस्तियों में हर शनिवार व मंगलवार को सामूहिक हनुमान चालीसा तथा सुंदरकांड का पाठ, प्रवचन, प्रमुख पर्वों पर सामूहिक भजन-पूजन के साथ धार्मिक गोष्ठियां होंगी। जहां ऐसे आयोजन होंगे, उस क्षेत्र के समस्त सनातन मतावलंबियों के घर के सदस्य उसमें शामिल हों, इसकी चिंता स्वयंसेवक करेंगे। आयोजन से पहले वह घर-घर जाकर आमंत्रण देंगे। माता-पिता, भाई-बहन और परिजनों में मनमुटाव खत्म करने की पहल भी स्वयंसेवक करेंगे।
विहिप से जुड़े धर्माचार्य देंगे दीक्षा
हिंदुओं को संस्कारवान बनाने में विश्व हिंदू परिषद से जुड़े धर्माचार्य व कथावाचक अहम भूमिका निभाएंगे। वेद विद्यालयों से पढ़कर निकलने वाले कथावाचकों को बस्तियों, मोहल्लों व गांव में प्रवचन के लिए भेजा जाएगा। वह निश्शुल्क प्रवचन कर धर्म का मर्म बताएंगे। प्रवचन का आयोजन क्षेत्र में रहने वाले स्वयंसेवक, विहिप पदाधिकारी अथवा किसी प्रभावशाली व्यक्ति के जरिए कराया जाएगा। धार्मिक पर्वों व राष्ट्रीय पर्व पर संतों का संंबंधित क्षेत्र में भ्रमण कराकर उनका प्रवचन कराया जाएगा।
'पहले राष्ट्र, फिर धर्म, अंत में हम का संदेश
आरएसएस हिंदुओं में राष्ट्र व धर्म को सर्वोपरि मानने की भावना पैदा करने की पहल भी करेगा। यह कार्य धार्मिक आयोजनों के जरिए ही होगा। स्वयंसेवक शाखा में लोगों को राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत करते ही हैं, संत व कथावाचक भी उसी भाव को विस्तार देंगे। वह 'पहले राष्ट्र, फिर धर्म और अंत में हम का संदेश देंगे। राष्ट्र व धर्म के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने का भाव पैदा किया जाएगा।