Ram Leela Prayagraj: कानून के ज्ञानी और मंच पर रामधुन भी गुनगुना रहे वे
बात रामलीला में मंचन करने और मंचन व्यवस्था संभालने की हो तो कानून के ज्ञाता भी शाम को मंच पर रामधुन में मगन हो जाते हैैं। एक परिवार को तो प्रभु की लीला ऐसी भायी कि पति पत्नी बेटा और बेटी मंच पर नजर आते हैं।
शरद द्विवेदी, प्रयागराज। प्रभु राम की महिमा ही कुछ ऐसी है कि हर साल उसी लीला का मंचन होने के बावजूद दर्शक खिंचे चले आते हैैं। बात रामलीला में मंचन करने और मंचन व्यवस्था संभालने की हो तो कानून के ज्ञाता भी शाम को मंच पर रामधुन में मगन हो जाते हैैं। एक परिवार को तो प्रभु की लीला ऐसी भायी कि पति, पत्नी, बेटा और बेटी मंच पर नजर आते हैं।
पात्र में जीवंतता लाने के लिए अभ्यास में बहा रहे हैं पसीना
इलाहाबाद हाई कोर्ट व जिला न्यायालय की अधिवक्ता ऋतंधरा मिश्रा श्रीपथरचट्टी रामलीला कमेटी की 'कथा रामराज की में मंदोदारी व कौशल्या का पात्र निभाने के साथ सह-निर्देशन करेंगी। महिला अधिवक्ता वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष, विधिक परामर्श केंद्र की काउंसलर व जिला विधिक प्राधिकरण की अधिवक्ता ऋतंधरा 20 साल से रामलीला में अभिनय कर रही हैं। कहती हैं कि रामलीला में अभिनय आत्मसंतुष्टि के लिए करती हैं। अभ्यास व अभिनय तन-मन में पवित्रता का भाव जाग्रत करता है। 'कथा रामराज की में जिला न्यायालय के अधिवक्ता सचिन श्रीवास्तव का तो पूरा परिवार ही रामलीला के लिए समर्पित है। सचिन लक्ष्मण का पात्र निभाएंगे। इनकी पत्नी शिक्षिका रचना श्रीवास्तव पार्वती बनेंगी। बेटी लाडो गौरी माता और बेटा ओम मंच पर श्रीराम के बाल स्वरूप के अभिनय में नजर आएंगे।
पैसे के लिए नहीं, शौक के लिए अभिनय
सचिन कहते हैं कि प्रभु श्रीराम की उनके ऊपर विशेष कृपा है, जिससे पूरे परिवार को उनकी लीला के मंच पर अभिनय करने का मौका मिला है। यह उनका शौक है, पैसे के लिए अभिनय नहीं करते हैं। रामलीला में अभिनय करने से संस्कार, समर्पण, परोपकार का भाव हृदय में जाग्रत होता है। जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विनोद चंद्र दुबे श्रीश्रीबाल रामलीला के मुख्य संरक्षक व सिविल लाइंस रामदल के अध्यक्ष हैं। रामलीला के लिए कलाकारों के चयन, अभिनय व रामदल निकलवाने की जिम्मेदारी संभालते हैैं। कहते हैं कि प्रभु श्रीराम की कृपा से सब संभव होता है।
रामलीला से जुड़े तो बदली दिनचर्या
रामलीला से जुड़े वकीलों की दिनचर्या इधर बदल गई है। सुबह 10 से शाम चार बजे तक वकालत में व्यस्त रहते हैैं। इसके बाद अभ्यास करने जाते हैं। फिर रात में 10 से एक बजे तक केस से जुटे काम निपटाते हैं। लीला शुरू होने पर नौ दिनों तक कोर्ट का काम कम कर देते हैं।
खान-पान में सात्विकता
अभिनय में शामिल अधिवक्ताओं का खान-पान बदल गया है। वे अभी घर का बना सात्विक भोजन ही इन दिनों कर रहे हैैं। मांस-मदिरा का सेवन नहीं करते। प्रयास करते हैैं कि वाणी विनम्र और संयमित रहे।