जिंदगी के बाद भी: प्रयागराज के रामकृपाल जो दुनिया छोड़ते वक्त दो नेत्रहीनों का जीवन कर गए रोशन
रामकृपाल की आंखें दो नेत्रहीनों को जिंदगी का सबसे अनुपम उपहार बन गई हैं। मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय में निदेशक डा. एसपी सिंह ने कार्निया प्रत्यारोपण किया। डा. एसपी सिंह ने बताया कि रामकृपाल सिंह ने नेत्रदान का संकल्प जीते जी लिया था
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इससे बड़ा दान कोई क्या कर सकता और भला इससे बड़ी सौगात किसी को जीवन में क्या मिल सकती है। शहर मे सुलेम सराय के जयंतीपुर निवासी 85 वर्षीय रामकृपाल सिंह दिवंगत होने पर भी दो जरूरतमंदों की आंख में रोशनी दे गए। यानी वो उनकी जिदंगी को अंधेरे से रोशनी की तरफ ले गए।
इच्छा जाहिर की थी कि सांस थमे तो मेरी आंखें दूसरों के काम आएं
रामकृपाल की आंखें दो नेत्रहीनों को जिंदगी का सबसे अनुपम उपहार बन गई हैं। मनोहर दास नेत्र चिकित्सालय में निदेशक डा. एसपी सिंह ने कार्निया प्रत्यारोपण किया। डा. एसपी सिंह ने बताया कि रामकृपाल सिंह ने नेत्रदान का संकल्प जीते जी लिया था। 22 जनवरी को उनकी मृत्यु हो गई तो पौत्र विवेक सिंह ने आई बैंक को सूचना दी। जानकारी मिलने पर डाक्टरों की एक टीम उनके घर भेजी गई। इस टीम ने रामकृपाल की आंखों का कार्निया प्राप्त किया और 24 जनवरी को दो जरूरतमंदों को अस्पताल बुलाकर उनकी आंख में प्रत्यारोपित किया गया। इससे दोनों नेत्रहीनों की आंख में अब रोशनी आ गई है और वह दुनिया देख सकेंगे।
शिक्षकों ने भी जाना कैसे करते हैं आपदा प्रबंधन
प्रयागराज : किसी भी प्राकृतिक या मानव जनित आपदा से निपटने के लिए शिक्षकों को आनलाइन प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसकी शुरुआत सोमवार से हो गई। इंस्टीट्यूट आफ एडवांस स्टडीज की प्राचार्य/अपर निदेशक ललिता प्रदीप ने बताया कि इस कार्यक्रम में परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों, डायट के शिक्षकों व आइएएसई के शिक्षकों को शामिल किया गया है। उन्हें यह बताया जा रहा है कि कसी भी मुश्किल से कैसे निपटें। बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना उनका कर्तव्य है। विशेषज्ञ गीतांजुरी, मनोज कुमार सिंह, डा. अरशद जमील ने कहा कि प्रत्येक विद्यालय में फर्स्ट एड किट होना जरूरी है। किस तरह के खतरे पैदा हो सकते हैं, इस पर समय समय पर चर्चा भी जरूरी है। वर्तमान परिस्थितियों में कोविड से बचाव के तौर तरीके पर भी मंथन हुआ। इस दौरान प्रवक्ता दरख्शा आब्दी ने प्रशिक्षण के उद्देश्य बताने के साथ शिक्षकों को इसमें सहभागी बनने के लिए प्रेरित किया। इस मौके पर प्रो. संत राम सोनी, स्मिता जायसवाल, डा. रूपाली दिव्यम, मीनाक्षी पाल, विमल आनंद, ज्योति कुमारी, सुरभियशवंत कुमार, विशाल गौरव आदि मौजूद रहे।