ट्रेन हादसा रोकने को सदी का सबसे बड़ा बदलाव होगा टीसीएएस कवच, स्वदेशी तकनीक की जानें खासियत
पूर्व में टीसीएएस की जगह यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम लगाने की तैयारी की गई थी। यह नई तकनीक पूरी तरह स्वदेशी विकसित है। उत्तर मध्य रेलवे की ट्रेनों के लोको इंजन स्टेशनों पर लगेगी जो विदेशी तकनीक के सापेक्ष आधे खर्च पर लगेगी। इससे ट्रेन हादसे रोकने में मदद मिलेगी।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। ट्रेन हादसे रोकने के लिए यूं तो रेलवे समय-समय पर योजनाओं को बनाकर लागू करता रहता है। हालांकि अब जो सिस्टम को अमल में लाने की तैयारी है। रेलवे जल्द ही ट्रेनों में ट्रेन कालिजन अवायडेंस सिस्टम (टीसीएएस) कवच लगाएगा। यह सिस्टम ट्रेन संरक्षा में इस सदी का सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इस तकनीक से ट्रेनें कभी भी लाल सिग्नल पार नहीं करेंगी। मेक इन इंडिया के तहत रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्स आर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने इसे विकसित किया है। इस तकनीक का इस्तेमाल ट्रेन और स्टेशन दोनों स्थानों पर होना है।
विदेशी तकनीक के सापेक्ष इस तकनीक में आधा आएगा खर्च
पहले टीसीएएस की जगह यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम लगाने की तैयारी की गई थी। यह नई तकनीक पूरी तरह स्वदेशी विकसित है। उत्तर मध्य रेलवे की ट्रेनों के लोको इंजन व स्टेशनों पर लगेगी जो विदेशी तकनीक के सापेक्ष आधे खर्च पर लगेगी। यह फुल आटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है। लोको पायलट को कैब के अंदर ही सिग्नल दिखेगा। इसी वर्ष इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू होगी और नए सिस्टम को लगाने की शुरुआत होगी।
मिशन रफ्तार का हिस्सा है टीसीएएस कवच तकनीक
मिशन रफ्तार के तहत दिल्ली हावड़ा रूट पर ट्रेनों को 160 किमी की रफ्तार से दौड़ाना है। यह सिस्टम उसी का हिस्सा है। इससे घने कोहरे में लाल सिग्नल न देख पाने की समस्या खत्म होगी। ट्रेनों की लेटलतीफी कम होगी और ट्रेनों की टकराहट शून्य स्तर पर पहुंच जाएगी। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि कभी ट्रेन बेपटरी हुई तो ट्रेन के इंजन रुकते ही 10 सेकेंड के अंदर एक आपात मैसेज प्रसारित होगा। यह मैसेज तीन किमी के दायरे में प्रत्येक ट्रेनें में पहुंच जाएगा, जिससे संबंधित लाइन पर आ रही ट्रेनें तत्काल जहां होंगी रोकी जा सकेंगी।
ट्रेनों की स्पीड बढ़ी तो लगा देगा ब्रेक
नए सिस्टम ट्रेन के लोको इंजन व दूसरा स्टेशन पर लगेगा। दोनों सूचनाओं का आदान-प्रदान करेंगे। यानी स्टेशन की सूचना चालक को मिलेगी और लोको इंजन की सूचना स्टेशन को मिलेगी। सेक्शन में निर्धारित स्पीड पर ही ट्रेन चलेगी। लाल सिग्नल आने, लेवल क्रासिंग का गेट के खुला होने, ओवर स्पीड पर यह सिस्टम अलार्म बजा देगा। अगर अलार्म पर लोको पायलट ने ब्रेक लगाई तो यह स्वत: ब्रेक लगेगी।
इस प्रणाली से बड़ा परिवर्तन होगा : एनसीआर सीपीआरओ
उत्तर मध्य रेलवे के सीपीआरओ डाक्टर शिवम शर्मा कहते हैं कि इस प्रणाली के आने से परिचालन में संरक्षा की दिशा में बहुत बड़ा परिवर्तन होगा। ट्रेन की संरक्षा सशक्त होगी। ट्रेनों को 160 किमी की रफ्तार से दौड़ाने की प्रक्रिया के साथ यह लागू होगा। अगर लोको पायलट सिग्नल नहीं देख पाएगा तब यह सिस्टम खुद ही ब्रेक लगा देगा।