Railway News: अब जीपीएस चिप से लैस होकर ट्रैक की निगरानी करने जाएंगे की-मैन
एनसीआर सीपीआरओ डा. शिवम शर्मा बताया कि ट्रैक की चेकिंग रूटीन का हिस्सा है। कीमैन और ट्रैकमैन को एक जीपीएस ट्रैकर दिया गया है जिसे वह अपने पास रखते हैं। जीपीएस की लाइव मानिटरिंग की जाती है। इसके लिए सभी डीईएन कार्यालय में एक मिनी कंट्रोल रूम बनाया गया
प्रयागराज, अमरीश मनीष शुक्ल। ठंड में रेलवे ट्रैकों की निगरानी जीपीएस चिप से लैस कीमैन और ट्रैकमैन करेंगे। इनकी लाइव मानिटरिंग डीईएन कंट्रोल रूम में बनाए गए मिनी कंट्रोल सेंटर से होगी। यहां पर मानिटरिंग के लिए अफसर तैनात रहेंगे। ट्रैक मैन कहां हैं, किस रूट पर हैं और कितनी दूरी तय की सबका पूरा लेखा जोखा रिकार्ड होता रहेगा। कीमैन के एक एक कदम की जानकारी लाइव ट्रैक होती रहेगी।
ट्रैक पर कोई खामी तो तत्काल दी जाएगी कंट्रोल रूम को सूचना
ट्रैक मैन के कहीं रुकने पर अफसर अलर्ट हो जाएंगे। ट्रैक पर कोई खामी होने पर तत्काल इसकी सूचना मिनी कंट्रोल रूम के जरिए मुख्य कंट्रोल रूम को दी जाएगी और समय रहते ट्रैक को ठीक कर व्यवस्था को सुव्यवस्थित रखा जाएगा। रेलवे ने ठंड की शुरूआत होते ही रेलवे ट्रैकों की निगरानी बढ़ा दी है। सभी ट्रैकमैन और कीमैन को अपनी बीट पर बेहद सावधानी के साथ पेट्रोलिंग करने को कहा गया है। रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक दो शिफ्ट में पटरियों का निरीक्षण होगा। कोहरे में सुरक्षित रेलवे सफर के लिए शुरु हुए इस अभियान में दो स्टेशनों के बीच में पटरियों की निगरानी कीमैन, गैंगमैन व अन्य रेलकर्मी द्वारा की जाएगी।
पैदल होगी एक से दूसरे स्टेशन तक निगरानी
एक स्टेशन से पैदल चल कर दूसरे स्टेशन तक निगरानी होगी और उनकी जवाबदेही भी तय होगी। स्टेशन पर पहुंचने पर स्टेशन मास्टर का हस्ताक्षर व मुहर भी संबंधित डायरी पर लगवाएंगे। ठंड और कोहरा बढ़ने के साथ ही ट्रैक चटकने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में नाइट शिफ्ट में ड्यूटी में कोई लापरवाही न हो इसके लिए जीपीएस ट्रैकर लगाया गया है। एनसीआर सीपीआरओ डा. शिवम शर्मा बताया कि ट्रैक की चेकिंग रूटीन का हिस्सा है। कीमैन और ट्रैकमैन को एक जीपीएस ट्रैकर दिया गया है, जिसे वह अपने पास रखते हैं। जीपीएस की लाइव मानिटरिंग की जाती है। इसके लिए सभी डीईएन कार्यालय में एक मिनी कंट्रोल रूम बनाया गया है। जिसमें ट्रैक की पेट्रोलिंग कर रहे कीमैन व ट्रैकमैन की हर लोकेशन सेव होगी। इसकी रिपोर्ट भी तैयार होगी। पेट्रोलिंग के दौरान अगर ट्रैकमैन व कीमैन गायब होते हैं, रूट बदलते हैं, रुकते हैं तो तत्काल प्रभाव से संबंधित रूट पर अलर्ट जारी होता है। ट्रेनों को कॉसन के तहत आगे बढ़ाया जाता है।