Railway News: MST की सुविधा न होने से दैनिक रेलयात्री हो रहे परेशान, अधिक देना पड़ रहा किराया
Railway News दैनिक यात्रियों के लिए एमएसटी अब गुजरा जमाना हो गया है। एमएसटी नहीं बनने से सबसे ज्यादा मार दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ी है। दिहाड़ी मजदूरों के अलावा व्यापारी छात्रों समेत करीब 13 हजार लोग भी नियमित ट्रेनयात्री हैं। एमएसटी की सुविधा बहाल न होने से वे परेशान हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण का असर कम होने के बाद उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) ने अब तक 86 फीसद ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया गया है। हालांकि इससे दैनिक यात्रियों की परेशानी अभी कम नहीं हुई है। एमएसटी की सुविधा बहाल न होने से उन्हें मजबूरी में प्रतिदिन टिकट लेना पड़ रहा है। कोरोना काल के पहले ऐसे दैनिक यात्री जो स्थानीय स्टेशनों तक 200 से 300 रुपये में एमएसटी (मासिक सीजन टिकट) बनवाकर महीने भर आसानी से सफर करते थे। अब उन्हेंं 80 से 120 रुपये तक प्रतिदिन खर्च करने पड़ रहे हैं। माह भर में यह खर्च करीब तीन हजार रुपये तक पहुंच रहा है।
प्रयागराज में 13 हजार लोग दैनिक रेलयात्रियाें हैं
दैनिक यात्रियों के लिए एमएसटी अब गुजरा जमाना हो गया है। एमएसटी नहीं बनने से सबसे ज्यादा मार दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ी है। दिहाड़ी मजदूरों के अलावा व्यापारी, छात्रों समेत करीब 13 हजार लोग भी नियमित ट्रेनयात्री हैं। उनका स्थानीय स्टेशनों भरवारी, सिराथू, खागा, शंकरगढ़, डिभौरा, हंडिया, सैदाबाद, फूलपुर, जंघई, भूपियामऊ, कुंडा, लालगंज से प्रतिदिन प्रयागराज आना होता है। इनमें दिहाड़ी मजदूरों को काम के बदले ये बमुश्किल 400 से 450 रुपये मिलते हैं। एमएसटी से इन्हेंं राहत थी। वर्ष 2020 में रोज 110 से 115 एमएसटी जारी होती थी।
श्रमिकाें का एक चौथाई हिस्सा किराया में जा रहा
एमएसटी की सुविधा बंद होने से श्रमिकों की कमाई का करीब चौथाई हिस्सा किराये में चला जा रहा है। सैदाबाद के जगतपुर निवासी अवधेश एक दुकान में मोबाइल रिपेयरिंग का काम करते हैं। उन्हेंं रोजाना 400 रुपये मिलता है। उनका कहना है कि आने-जाने का किराया महंगा पड़ रहा है। शंकरगढ़ के सीताराम प्रसाद बताते हैं कि लाकडाउन के पहले एमएसटी बनवाकर पैसेंजर ट्रेन से जाते थे। अब निजी साधन से अधिक रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।