Railway Encroachment : रेलवे ट्रैक के किनारे अतिक्रमण रोकेगी दीवार, यह है रेलवे की योजना
Railway Encroachment रेलवे लाइन के किनारे अतिक्रमण रोकने की रेलवे ने तैयारी कर रखी है। रेलवे ट्रैक के किनारे दीवार बनवाई जा रही है। प्रयागराज के सूबेदारगंज में भी दीवार बनी है।
प्रयागराज, जेएनएन। रेलवे की पटरियां सुरक्षित रहें और हादसे न हों, इसलिए रेलवे के अधिकारी इसके प्रति अब और सतर्क हो गए हैं। तीन सितंबर को सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद ट्रैक के निकट के कब्जे हटाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। साथ ही ट्रैक के किनारे दीवार बनाने की प्रक्रिया में भी तेजी आ गई है। वैसे उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) में सौ किलोमीटर ट्रैक के किनारे दीवार बना दी गई है। बाकी ट्रैक के किनारे 2023 तक दीवार उठा दी जाएगी। प्रयागराज के सूबेदारगंज रेलवे स्टेशन के निकट भी दीवार बनाई गई है।
ट्रैक के किनारे दीवार उठाने की हो रही कवायद
खासकर दिल्ली और मुंबई में पटरियों के किनारे बसी झुग्गी झोपड़ी को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था। ऐसे हालात अन्य शहरों के भी हैं इसलिए रेलवे अब ट्रैक के किनारे दीवार उठाने में लगा है। देश के सबसे व्यस्त रेल मार्ग नई दिल्ली-हावड़ा रूट का गाजियाबाद से पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन (डीडीयू) तक का 750 किलोमीटर का सेक्शन उत्तर मध्य रेलवे में है। इस सेक्शन में भीड़भाड़ वाले इलाकों और दुर्घटना बाहुल्य स्थलों के आसपास करीब सौ किलोमीटर में ट्रैक किनारे दीवार उठा दी गई है। बाकी सेक्शन में दीवार नहीं है तो अक्सर हादसे होते हैं। अभी इस ट्रैक पर 130 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से ट्रेनें चलती हैं। लेकिन आने वाले दिनों में इस पर ट्रेनों की गति 160 किमी प्रति घंटे की होगी। इसलिए इस पूरे रूट पर ट्रैक के दोनों ओर दीवार उठाई जाएगी। उसके लिए 110 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत भी हो चुकी है।
सूबेदारगंज में रेलवे ट्रैक किनारे बनी है दीवार
इधर प्रयागराज में भी दिल्ली-हावड़ा रेल मार्ग पर रेलवे ट्रैक के किनारे अतिक्रमण और हादसे रोकने के लिए कार्य हो रहे हैं। सूबेदारगंज स्टेशन के आसपास रेलवे ट्रैक से निकले प्री स्ट्रेस्ड कंक्रीट (पीएससी) स्लीपर से रेलवे ने दीवार बनाई है। पीएससी स्लीपर से पटरी किनारे बनने वाली इस दीवार से सुरक्षा भी रहेगी और हादसे होने की संभावना भी कम हो जाएगी।
बोले, एनसीआर के सीपीआरओ
एनसीआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अजीत कुमार सिंह ने बताया कि इस कार्य को 2023 तक पूरा किया कर लिया जाएगा। ट्रैक के किनारे कुछ स्थलों पर सोलर प्लांट लगाए जाएंगे। उसके लिए जिसे ठेका दिया जाएगा, वह वहां पर दीवार उठाएगा। इस तरह अगले तीन सालों में पूरा ट्रैक दीवार के अंदर संरक्षित रहेगा।