छात्रा से दुष्कर्म व हत्या मामले में प्रयागराज पुलिस के राजफाश पर उठे सवाल, तीन आरोपित गिरफ्तार
प्रयागराज में छात्रा से दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में पुलिस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर मामले का पटाक्षेप करने का दावा किया है। हालांकि पुलिस के इस राजफाश पर कई उनुत्तरित सवाल भी हैं जिसका जवाब शायद पुलिस अफसरों के पास भी नहीं है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज के कर्नलगंज थाना इलाके में दुष्कर्म के बाद छात्रा की हत्या के मामले में भले ही पुलिस ने तीन आरोपितों को सामने लाकर मामले का पटाक्षेप कर दिया हो, लेकिन कई सवाल अभी भी खड़े हैं। सवाल ऐसे हैं, जिसका जवाब संभवत: पुलिस अफसरों के पास भी नहीं है। यही वजह है कि वह बार-बार जांच की बात कह रहे हैं।
पुलिस ने तीन लोगों की गिरफ्तारी दिखाई है
दुष्कर्म के बाद छात्रा की हत्या मामले का राजफाश करते हुए पुलिस ने अमन सिंह राजपूत, दीपक यादव और निखिल कनौजिया की गिरफ्तारी दिखाई है। तीनों पढ़ाई करते हैं। अमन और दीपक बीए द्वितीय वर्ष और निखिल बीए तृतीय वर्ष का छात्र है। इसमें अमन को मुख्य आरोपित बनाया गया है, जबकि दीपक और निखिल को सह अभियुक्त।
पुलिस का यह कहना है
पुलिस द्वारा बताया गया कि छात्रा के साथ अमन ने जब मारपीट शुरू की तो वह चिल्लाने लगी और पुलिस से शिकायत कर उसे जेल भिजवाने की धमकी दी थी। इसी से आक्रोशित होकर अमन ने उसका मुंह तीन-चार मिनट तक दबाएं रखा, ताकि वह चिल्ला न सके। लगातार मुंह दबाने से उनका दम घुट गया और वह अचेत होकर जमीन पर गिर पड़ी। इसके बाद उसने उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद शव को ठिकाने लगाने के लिए कुएं में फेंकने की कोशिश करने लगा। यानी मुंह दबाने से ही छात्रा की मौत हो गई थी। इसके बाद जैसे ही वह कुएं में शव को ठिकाने लगाने के लिए झुका, वैसे ही किसी ने आवाज दी 'कौन है, कौन है'। यह सुनकर अमन घबरा गया और बिना शव को कुएं में फेंके वहां से छिपकर भाग निकला।
शव ठिकाने लगाते समय वहां कौन पहुंच गया था
इतनी ही बातों को गौर किया जाए तो यह साफ है कि इस पूरी प्रक्रिया में दस मिनट से अधिक का समय लगा होगा और जब छात्रा चिल्लाई तो कोई नहीं पहुंचा। अचानक शव ठिकाने लगाते समय ही कौन पहुंच गया? यही नहीं अमन ने अपने दोनों दोस्तों को फोन कर बुलाया और फिर रात 8:30 बजे घटनास्थल पर पहुंच गया लेकिन अब यहां छात्रा की लाश नहीं थी। सिर्फ उसका बैग पड़ा था। बैग को उसने कुएं में फेंक दिया और भाग निकला। अब सवाल यह है कि आखिर वह कौन था, जिसने छात्रा के शव को कुएं में फेंका, जबकि उस शख्स का हत्या से कोई मतलब नहीं था।
पूरे प्रकरण में कहीं न कहीं झोल है
आश्चर्य की बात तो यह है कि अगर कोई शव भी देखता तो वह सबसे पहले पुलिस को सूचना देता या फिर चुपचाप वहां से निकल जाता। हालांकि शव को कुएं में फेंकने की जहमत न उठाता। यानी इस पूरे प्रकरण में कहीं न कहीं झोल है। पुलिस अफसर भी कह रहे हैं कि कुएं में लाश फेंकने की बात अमन और उसके साथी नहीं कबूल रहे हैं। ऐसे में कुएं में शव किसने फेंका, इसकी जांच वह कर रहे हैं।
अमन और छात्रा के बारे में जानते थे दोनों दोस्त
अमन और छात्रा के बीच के रिश्ते के बारे में दीपक और निखिल जानते थे। सलोरी में किराए पर कमरा लेकर रहने वाले दीपक और निखिल भी अक्सर छात्रा को फोन कर बातचीत करते थे। 22 जनवरी की शाम घटना होने के बाद दूसरे दिन अमन और दीपक ने छात्रा की रूम पार्टनर को फोन भी लगाया। उससे पूछा कि छात्रा कहां है। पुलिस की मानें तो यह इसलिए किया गया था कि किसी को उन पर संदेह न हो। छात्रा की रूम पार्टनर को उन पर संदेह हो गया और उसने छात्रा के घरवालों को इसकी जानकारी दे दी थी।
डिलीट का दिया है डाटा
पुलिस को तीनों के पास से चार मोबाइल मिले हैं। इसमें अधिकांश डाटा डिलीट किया जा चुका है। चैटिंग के साथ ही किए गए काल को भी डिलीट किया गया है। पुलिस ने डिलीट डाटा की जांच के लिए मोबाइलों को एफएसएल भेजा है। इसकी रिपोर्ट आने के बाद और भी कई बातें सामने आने की संभावना जताई जा रही है।
फाफामऊ कांड में भी यही कहानी आई थी सामने
पिछले वर्ष फाफामऊ में एक ही परिवार के चार लोगों की हत्या कर दी गई थी। घर के मुखिया की पुत्री के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। मामले में चार आरोपितों को पुलिस ने बारी-बारी से गिरफ्तार किया था। इनके खिलाफ पुलिस के पास सिर्फ एक ही साक्ष्य है कि मोबाइल से चैटिंग करते थे। इसके अलावा कोई ऐसा साक्ष्य नहीं मिला है, जिसके आधार पर जेल भेजे गए आरोपितों पर सीधे तौर पर सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या किए जाने की बात कही जा सके। मामले की जांच आज भी चल रही है, लेकिन पुलिस वहीं आज भी खड़ी है, जहां पहले दिन थी। एक तौर पर पुलिस इस पूरे प्रकरण के राजफाश में विफल हो चुकी है।