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प्रश्न पहर : काम, परिवार व दोस्तों में बनाएं संतुलन, रहें तनावमुक्त

भाग दौड़ भरी जिंदगी में हर कोई किसी न किस बात को लेकर मानसिक तनाव में है। कोई ऑफिस के काम से तो कोई कॅरियर को लेकर चिंतित। यही चिंता धीरे-धीरे मानसिक रोगी बना देती है। प्रयास करें कि तनावमुक्त रहना है तो पढ़ाई काम परिवार व दोस्तों के बीच कुछ समय जरूर व्यतीत करें। यह कहना है मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल (काल्विन) के मनोचिकित्सक डॉ. राकेश पासवान का। वह गुरुवार को दैनिक जागरण के फोन-इन-प्रोग्राम प्रश्न पहर में पाठकों के सवालों के जवाब दे रहे थे।

By JagranEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 08:09 PM (IST)Updated: Thu, 19 Nov 2020 08:09 PM (IST)
प्रश्न पहर :  काम, परिवार व दोस्तों में बनाएं संतुलन, रहें तनावमुक्त
प्रश्न पहर : काम, परिवार व दोस्तों में बनाएं संतुलन, रहें तनावमुक्त

भाग दौड़ भरी जिंदगी में हर कोई किसी न किस बात को लेकर मानसिक तनाव में है। कोई ऑफिस के काम से तो कोई कॅरियर को लेकर चिंतित। यही चिंता धीरे-धीरे मानसिक रोगी बना देती है। प्रयास करें कि तनावमुक्त रहना है तो पढ़ाई, काम, परिवार व दोस्तों के बीच कुछ समय जरूर व्यतीत करें। यह कहना है मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल (काल्विन) के मनोचिकित्सक डॉ. राकेश पासवान का। वह गुरुवार को दैनिक जागरण के फोन-इन-प्रोग्राम प्रश्न पहर में पाठकों के सवालों के जवाब दे रहे थे। प्रस्तुत है सवाल व जवाब :

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सवाल : मैं लंबे समय से तनाव में हूं, नींद नहीं आती है। कुछ उपाय बताएं।

पीयूष (हनुमानगंज), नरेशचंद्र निषाद (झूंसी)।

जवाब : पहले जानें कि तनाव का कारण क्या है? दिनचर्या नियमित करें। यदि किसी बात को लेकर परेशान हैं तो करीबी दोस्त या परिवार के सदस्यों से साझा करें। स्वस्थ रहने के लिए भरपूर नींद जरूरी है। यदि नींद नहीं आती है तो दिन में मेहनत वाला काम करें ताकि थकान लगे। जरूरत पड़े तो काल्विन अस्पताल आकर संपर्क करें।

सवाल : लॉकडाउन में घर में रहने की आदत हो गई। भीड़ में जाने से डर लगता है, क्या करूं?

सोंटू यादव, नार्थ मलाका।

जवाब : कोरोना काल में यह भय स्वभाविक है। बाहर निकलते समय बस ध्यान रखें कि गाइडलाइन का पालन करें। मास्क अवश्य लगाएं। बच्चों को बाहर खेलने के लिए भेजे हैं तो साथ में जाइए और उनकी देखभाल करते रहें।

सवाल : मैं कॅरियर को लेकर तनाव में हूं, उपाय बताएं?

निधि सिंह, जार्ज टाउन, आशुतोष मिश्र, लूकरगंज

जवाब : जरूरी नहीं है कि पहली बार में ही सफलता मिल जाए। आपको मंजिल तक पहुंचने के लिए विभिन्न परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। मन पसंद किताब पढ़ें या मन का काम करें। बेटे को समझाएं कि यह सामान्य समस्या है। जब सही समय आएगा तो उसे अपनी मंजिल मिल ही जाएगी। कोई भी काम मन लगाकर करे।

सवाल : मैं लोक निर्माण विभाग में कार्यरत हूं। घर जाता हूं तो बहुत चिड़चिड़ाहट होती है। गुस्सा भी आता है।

शैलेश कुमार त्रिपाठी, झूंसी

जवाब : ऑफिस का तनाव घर न ले जाएं। नहीं तो आपके परिवार के सदस्य भी असहज हो जाएंगे, जो ठीक नहीं है। घर पर हो तो परिवार के साथ खुश रहने का प्रयास करें।

सवाल : मैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूं। लॉकडाउन में घर में रहने की आदत हो गई। सिर्फ सोना अच्छा लगता है।

विक्रम, छोटा बघाड़ा

जवाब : सुबह उठने की आदत डालें और योग करें ताकि शरीर में स्फूíत बनी रहे। पढ़ाई पर फोकस करें, धीरे-धीरे सब सामान्य हो जाएगा।

सवाल : परिवार को लेकर हमेशा तनाव में रहती हूं। कैसे बचें?

किरन सिंह, अल्लापुर

जवाब : देखिए, तनाव जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। तनाव भी दो तरह के होते हैं, एक वह जिसमें आपकी मंजिल आसान हो जाती है लेकिन दूसरा तनाव आपको मानसिक रोगी बना देता है। परिवार में सकारात्मक संवाद करें, अच्छी बातें करें, छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करें।

काल्विन आइए, करेंगे इलाज

भदोही के सीतामढ़ी निवासी दिलीप पाडेय ने कॉल कर बताया कि सात साल से डिप्रेशन में हैं, नींद नहीं आती है, गुस्सा आता है। आíथक तंगी से इलाज बंद हो जाता है। डॉ. राकेश बोले, सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को काल्विन के कक्ष संख्या आठ या 13 में संपर्क करें, काउंसिलिंग करने के बाद पूरा इलाज निश्शुल्क होगा। छत पर ही खेलें बच्चे

डॉ. पासवान कहते हैं कोरोना काल में सभी स्कूल बंद हैं लेकिन कक्षाएं ऑनलाइन चल रही हैं, बच्चे खेलने के लिए पार्क में नहीं जा रहे हैं। ऐसे में बच्चे मोबाइल की लत के शिकार हो रहे हैं। अभिभावक को इस पर ध्यान देना होगा कि घर या छत पर ही ऐसी व्यवस्था की जाए ताकि बच्चे घर पर फिजिकल गेम खेल सकें। ठीक हो रहे मनोरोगी

काल्विन अस्पताल में अत्याधुनिक संसाधन उपलब्ध हैं जो मनोरोगियों के इलाज में कारगर है। मन कक्ष, ईसीटी, बायो फीडबैक मशीन, मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र, मनारोगियों को अस्पताल में भर्ती करने की भी सुविधा है। अस्पताल में सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को मानसिक दिव्यागता का प्रमाणपत्र भी बनाया जाता है।


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