आजादी के पहले माघ मेला के फंड से चलती थी प्रयागराज की पब्लिक लाइब्रेरी
डा.शुक्ला बताते हैं कि संयुक्त प्रांत सरकार ने 4 मार्च 1923 को पब्लिक लाइब्रेरी को शासन संरक्षित संस्था घोषित करते हुए इसके प्रबंधन में बदलाव किया था। प्रबंध करने के लिए 26 सदस्यीय एक समिति बनाई। समिति हर तीन वर्ष में बदल जाती थी।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज के चंद्रशेखर आजाद पार्क स्थित पब्लिक लाइब्रेरी के संचालन की कहानी रोचक है। लाइब्रेरी की स्थापना के कई दशक बाद तक इसका सदस्य भारतीयों को नहीं बनाया जाता था। समय बदलने के साथ अंग्रेजों ने इसके कठोर नियमों में बदलाव किया। देश के आजाद होने के काफी समय बाद राज्य सरकार ने इसका प्रांतीयकरण करके इसे उच्च शिक्षा निदेशालय के अधीन कर दिया। इस पुस्तकालय में सौ वर्ष से अधिक पुरानी प्रशासनिक रिपोर्टों, ब्रिटिश संसद की कार्यवाही, दुर्लभ ग्रंथों, सदियों पुरानी पांडुलिपियों, 1865 से पायनियर की प्रतियों के दुर्लभ संकलन के लिए विख्यात है। हालांकि आजादी के पहले पब्लिक लाइब्रेरी के संचालन को व्यय माघ मेला के लिए आवंटित फंड से किया जाता था।
यूरोपीय पद्धति से कराई थी कैटलागिंग
पब्लिक लाइब्रेरी के पुस्तकालयाध्यक्ष डा.गोपाल नारायण शुक्ला बताते हैं कि 1926 में पब्लिक लाइब्रेरी में यूरोपीय पद्धति से कैटलागिंग कराई गई थी। यह महत्वूपर्ण काम एके सेने ने कराया था। देश के आजाद होने कई वर्षों बाद 15 अगस्त 1975 को राज्य सरकार ने इसका प्रांतीयकरण करके इसे उच्च शिक्षा निदेशालय के अधीन कर दिया। महाराजा ट्रावनकोर, महाराज मैसूर, प्राचार्य थामसन कालेज, रूड़की, पायनियर प्रेस प्रयागराज, मद्रास, कलकता, मुंबई एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालयों, ला जर्नल प्रेस प्रयागराज, राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउडेंशन आदि ने दुर्लभ पुस्तकों तथा पांडुलिपियों से इस पुस्तकालय को समृद्ध करने में मदद की है।
एक लाख से अधिक है पुस्तकें
डा.गोपाल नारायण बताते हैं कि इस समय पुस्तकालय में एक लाख से अधिक पुस्तकें हैं। 23 नवंबर 1930 को प्रख्यात इतिहासकार सर यदुनाथ सरकार इस पुस्तकालय में आए थे। उन्होंने इसे देश में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पुस्तकालयों में से एक बताया था। सर तेजबहादुर सप्रू, डॉ. अमरनाथ झा, सर सैयद वजीर हसन, न्यायमूर्ति ओएस मूथम, प्रो.सतीश चंद्र देव, ओपी भटनागर, न्यायमूर्ति एससी देसाई, न्यायमूर्ति कमलाकांत वर्मा इस प्रतिष्ठित पुस्तकालय के प्रबंधन से काफी समय तक जुड़े रहे।
1923 में लाइब्रेरी को शासन संरक्षित घोषित किया गया
डा.शुक्ला बताते हैं कि संयुक्त प्रांत सरकार ने 4 मार्च 1923 को पब्लिक लाइब्रेरी को शासन संरक्षित संस्था घोषित करते हुए इसके प्रबंधन में बदलाव किया था। प्रबंध करने के लिए 26 सदस्यीय एक समिति बनाई। समिति हर तीन वर्ष में बदल जाती थी। 1895 से 1925 तक लाइब्रेरी के संचालन के लिए व्यय माघ मेला के लिए आवंटित फंड से किया जाता था।