प्रोफेसर जयंत के. पति बोले- कारगर साबित होगा चंद्रयान-2 को मिला डेटा Prayagraj News
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस विभाग के प्रोफेसर जयंत के. पति ने दावा किया है कि चंद्रयान-2 को मिला डाटा काफी कारगर साबित होगा।
प्रयागराज, जेएनएन। चंद्रयान-2 को चांद से 2.1 किमी की दूरी और इससे पहले जो भी डाटा मिला है, यह बहुत कारगर साबित होगा। यह कहना है इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस विभाग के प्रोफेसर जयंत के. पति का। दैनिक जागरण से बातचीत में प्रो. जयंत ने बताया कि जब तक लैंडर निष्क्रिय न घोषित हो जाए, तब तक उससे दोबारा संपर्क स्थापित होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि जिस ऑर्बिटर से लैंडर अलग हुआ था, वह अभी भी चंद्रमा की सतह से 119 से 127 किमी की ऊंचाई पर घूम रहा है।
प्रो. जयंत चंद्रमा, मंगल की सतह पर मिलने वाले खनिज व पत्थरों पर कर रहे शोध
प्रो. जयंत के. पति इन दिनों नेशनल सेंटर ऑफ एक्सपेरीमेंटल मिनलरॉली एंड पेट्रोलॉजी के निदेशक हैं। उन्होंने बताया कि वह वर्ष 2020 में नई दिल्ली में होने वाले 36वें इंटरनेशनल जियोलॉजिकल कांग्रेस के प्लेनेटरी साइंसी थीम के नेशनल को-ऑर्डिनेटर हैं। इस समारोह में भारत के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान के प्रतिनिधि शामिल होंगे। प्रो. जयंत भौतिक विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अवधेश कुमार राय के साथ मिलकर चंद्रमा और मंगल के सतह पर मिलने वाले खनिज तथा पत्थरों पर भी पिछले चार साल से शोध कर रहे हैं।
प्रो. जयंत की यह है उपलब्धि
मिशन चंद्रयान-1 में योगदान देने वाले प्रोफेसर जयंत मूलरूप से उड़ीसा के रहने वाले हैं। वर्ष 2006 से 2010 तक उन्होंने मिशन में योगदान देकर इविवि का मान बढ़ाया था। प्रो. जयंत ने आइआइटी रुड़की से एमटेक इन एप्लाइड जियोलॉजी की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वर्ष 1992 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हाईप्रेशर हाईटेम्प्रेचर एकस्पेरीमेंटल पेट्रोलॉजी में पीएचडी किया। फिर वह जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया लखनऊ में बतौर जियोलॉजिस्ट योगदान देने लगे। वर्ष 2000 में इविवि में रीडर नियुक्त हुए।
तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन शुरू
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (ट्रिपलआइटी) में मशीन इंटेलिजेंस एवं सिग्नल प्रोसेसिंग (एमआइएसपी-2019) विषयक तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की शुरुआत हुई। सेमिनार का उद्घाटन संस्थान के निदेशक प्रो. पी. नागभूषण ने किया। उन्होंने बताया कि यह सम्मेलन दुनिया के शोधकर्ताओ के लिए डेटा माइनिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग के माध्यम से मिर्गी, अल्जाइमर, स्लीप डिसआर्डर आदि जैसे बीमारियों में मानव मस्तिष्क विकारों के अध्ययन का विषय है।
चंद्रयान-2 मिशन पर विशेषज्ञों ने की चर्चा
प्रो. शेखर वर्मा ने बायोमेडिकल सिग्नल प्रोसेसिंग पर चर्चा की। प्रो. शिशुर वर्मा ने शोधकर्ताओं को मशीन लर्निंग, डेटा खनन और डेटा सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. वृजेन्द्र सिंह ने चंद्रयान-2 का जिक्र करते हुए बताया कि किस तरह से वैज्ञानिकों ने डेटा प्रोसेसिंग और सिग्नल प्रोसेसिंग सिस्टम, आर्किटेक्चर सिग्नल प्रोसेसिंग एल्गोरिदम, समय आवृत्ति विश्लेषण कर मिशन को लांच किया था। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सोनाली अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।