लंदन से आए प्रोफेसरों ने जानी माघ और प्रयाग की महत्ता Prayagraj News
मेले में होने वाली धार्मिक गतिविधियों स्नान पर्वों पूजन विधियों सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा हस्त शिल्प भोजन और दैनिक उपयोग की पारंपरिक वस्तुओं की विधिवत जानकारी दी।
प्रयागराज,जेएनएन । कुंभ 2019, अगर विदेशी सैलानियों के लिए शोध और आश्चर्य का विषय रहा तो माघ मेला भी उससे कुछ कम नहीं है। विदेशी नागरिकों, विभिन्न कॉलेजों के छात्रों और शोधकर्ताओं का आगमन शुरू हो गया है। सोमवार को लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से प्रोफेसर लुसियानो आंद्रेनक्सी, डॉ इफेई यान और माइकल बजऱ्ेलय माघ मेला क्षेत्र में पहुंचे। इन्होंने संगम नोज पर गंगा सेना के शिविर में जाकर स्वामी आनंद गिरि से मिलकर भारतीय सभ्यता, संस्कृति, योग और प्रयाग महात्म्य पर चर्चा की।
मेले में होने वाली धार्मिक गतिविधियों, स्नान पर्वों, पूजन विधियों के बारे में की जानकारी
विदेशी प्रोफेसरों ने कहा कि वे कुंभ में आना चाहते थे लेकिन किसी वजह से नहीं आ सके। प्रयाग में लगने वाले कुंभ और माघ मेले की ख्याति उन्होंने बहुत सुनी। स्वामी आनंद गिरि ने उन्हें तीर्थराज प्रयाग की महिमा बताते हुए कहा कि तीर्थराज सदृशं क्षेत्रभस्ति जुगत्रये, विश्व के मानचित्र में प्रयाग का अप्रतिम स्थान है। न केवल भौगोलिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक, ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत की यह धरोहर स्थली है। कहा कि सनातन धर्म के अनुसार तो सृष्टि का उद्भव व विलय भी इसी स्थल से है। प्रत्येक मनुष्य का अवसान जाने-अनजाने, चाहे-अनचाहे भगवान की भक्ति से है, और उसका मूर्त रूप नित्य निरंतर प्रवाहमान पुण्य सलिला पतित पावनी मां गंगा है। उन्होंने अतिथियों को मेले में होने वाली धार्मिक गतिविधियों, स्नान पर्वों, पूजन विधियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा हस्त शिल्प, भोजन और दैनिक उपयोग की पारंपरिक वस्तुओं की विधिवत जानकारी दी।
योग ने संपूर्ण भारत विश्व को भारत से जोड़ दिया
अतिथियों ने कहा कि यह योग, दुनिया भर में प्रसिद्ध है। भारत की यह पुरातन कला कुछ वर्ष पहले तक लोग न तो उपयोग कर रहे थे न ही इसके लाभ के बारे में जानते थे लेकिन, थोड़े ही समय में लोग जागरूक हुए कि योग ने सम्पूर्ण विश्व को भारत से जोड़ दिया। इस अवसर पर मेला अधिकारी रजनीश कुमार मिश्र भी उपस्थित रहे।