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प्रयागराज कुंभ का वैभव देखने 18 को आएंगी कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा

कांग्रेस के नेता अपनी पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को कुंभ का वैभव दिखाने के लिए बेकरार हैं। प्रयास हो रहा है कि माघी पूर्णिमा के पहले यानी 18 फरवरी को प्रियंका गांधी यहां आ जाएं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 03:32 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 04:09 PM (IST)
प्रयागराज कुंभ का वैभव देखने 18 को आएंगी कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा
प्रयागराज कुंभ का वैभव देखने 18 को आएंगी कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा

प्रयागराज [रवि उपाध्याय]। सक्रिय राजनीति में उपस्थिति दर्ज कराने के बाद लखनऊ में रोड शो करने वाली कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का अब अगला पड़ाव प्रयागराज है। सॉफ्ट हिंदुत्व की ओर बढ़ रही कांग्रेस की पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा 18 फरवरी को अब प्रयागराज कुंभ में डुबकी लगाएंगी।

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कांग्रेस के स्थानीय नेता अपनी पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को कुंभ का वैभव दिखाने के लिए बेकरार हैं। प्रयास हो रहा है कि माघी पूर्णिमा के पहले यानी 18 फरवरी को प्रियंका गांधी यहां आ जाएं। इसके लिए तैयारी शुरू हो गईं हैं। मेला प्रशासन से इस संबंध में कांग्रेस के कुछ नेताओं की मौखिक बात हुई है। चर्चा में उनके त्रिवेणी आरती में शामिल होने की बात सामने आई है।

प्रयागराज कुंभ शुरू होने के साथ ही विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओं के संगम में डुबकी लगाने की चर्चा शुरू हो गई थी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने शुरुआत में ही आकर साधु-संतों का आशीर्वाद लिया था। जूना अखाड़े के मौजगिरि घाट का शिलान्यास कर दिया था। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां आए और पूर्ण हो चुकीं विकास योजनाओं का का लोकार्पण किया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो लगातार कई बार आए। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी संगम में डुबकी लगाकर गए। इसी तरह राहुल गांधी के भी यहां आने की चर्चा चल रही थी।

राहुल गांधी के बीते दिनों मानसरोवर यात्रा और देश के विभिन्न मंदिरों में दर्शन-पूजन की वजह से इस चर्चा को बल मिला था। स्थानीय नेताओं ने भी बातचीत में इस चर्चा की पुष्टि की थी। इस बीच प्रियंका गांधी को पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व उत्तर प्रदेश का प्रभार देने से राहुल गांधी के आने की चर्चा कम हो गई। इसी क्रम में स्थानीय कांग्रेसियों ने चर्चा शुरू कर दी कि लखनऊ जाने से पहले प्रियंका कुंभ आएंगी।

कांग्रेस के बड़े नेता ने तब बताया था कि चार फरवरी को प्रियंका गांधी को यहां लाने का प्रयास था। यहां पर चार को मौनी अमावस्या का स्नान होने के कारण यह संभव नहीं हो पाया। फिर प्रियंका के आने की तारीख लगातार बदलती रही। लखनऊ प्रवास के समय उनके करीबी लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि जल्द ही वे कुंभ मेले में जाएंगी।

इसके बाद कल एक बार फिर यह बात सामने आई कि प्रियंका 18 फरवरी को यहां आएंगी। वह यहां कुल डेढ़ घंटे रहेंगी। इस दौरान गंगा पूजन एवं आरती का कार्यक्रम है। मेला प्रशासन के सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में मौखिक सूचना मिली है। उनका प्रोटोकाल नहीं आया है। प्रियंका गांधी एसपीजी सुरक्षा में रहती हैं। ऐसे में उनका कार्यक्रम जारी होने के पहले एसपीजी यहां पहुंच जाएगी। 

फीडबैक लेकर प्रियंका लखनऊ से लौटीं

प्रियंका गांधी वाड्रा ने लखनऊ में तीन दिन, 45 घंटे और 37 लोकसभा सीट को लेकर मंथन किया। इसमें सभी कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया। सभी ने एक स्वर में कहा कि दीदी हम गठबंधन न करें तो बेहतर होगा। उन्होंने लखनऊ में मैराथन बैठकों में हर जिले के नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ सिलसिलेवार लोकसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा की। संगठन को संजीवनी देने के उपायों पर चर्चा की तो कार्यकर्ताओं ने उन्हें चुनावी गठबंधन न करके सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लडऩे की राय दी। चुनाव लडऩे के कार्यकर्ताओं के आग्रह को उन्होंने विनम्रता से टाल दिया। गुटबाजी से ऊपर उठकर पार्टी प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने की अपील भी की।

संगठन में फिलहाल बड़ा बदलाव नहीं 

पदाधिकारियों को लेकर जिले-जिले से खूब शिकायत हुईं। कार्यकर्ताओं ने बताया कि कुछ बड़ों ने किस तरह संगठन के पदों पर कब्जा कर लिया है। कार्यकर्ताओं ने समस्याएं भी खूब बताईं। तमाम लोगों की शिकायत उन्होंने लिखीं। कार्यकर्ताओं के मोबाइल नंबर भी लिए। प्रियंका ने माना कि कार्यकर्ताओं की संगठन को लेकर शिकायत सही हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव को लेकर इतना कम वक्त है कि फिलहाल कोई बड़ा बदलाव नहीं हो पाएगा। 

सियासी दृष्टि से पूर्वी यूपी बेहद अहम

प्रियंका गांधी को जिस पूर्वी उत्तर प्रदेश की 41 सीटों की जिम्मेदारी दी गई है, वहां भाजपा बहुत मजबूत हैं। पीएम नरेंद्र मोदी मोदी की वाराणसी और सीएम योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर सीट भी इसी इलाके में हैं। चुनाव में वक्त भी कम है, लिहाजा प्रियंका के सामने चुनौती कठिन है।


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