प्रयागराज में मनमानी पर उतारू निजी अस्पताल, कोविड के नाम पर लौटाए जा रहे मरीज, कोई सुनने वाला नहींं
मरीजों को भी कोरोना जांच के नाम पर समय पर इलाज नहीं मिल रहा है। कोरोना जांच केंद्रों पर लंबी लाइन लग रही है। निजी अस्पतालों में एंटीजेन किट होने और कोविड जांच के बाद इलाज के प्रशासनिक निर्देश भी हैं फिर भी मरीज बाहर से लौटाए जा रहे हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। ढाई सौ से अधिक रजिस्टर्ड अस्पतालों के हब प्रयागराज में लोगों को इलाज बिना तड़पना पड़ रहा है। अन्य बीमारियों के मरीजों को भी कोरोना जांच के नाम पर समय पर इलाज नहीं मिल रहा है। कोरोना जांच केंद्रों पर लंबी लाइन लग रही है। तमाम निजी अस्पतालों में एंटीजेन किट होने और कोविड
जांच के बाद इलाज के प्रशासनिक निर्देश भी हैं फिर भी मरीज बाहर से ही लौटाए जा रहे हैं।
कोविड प्रोटोकाल का पालन नहीं कर रहे निजी अस्पताल
शहर के दर्जन भर निजी अस्पतालों को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल बनाया जा चुका है। इनमें अधिकांश सिविल लाइंस क्षेत्र में हैं। इनमें बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, विभिन्न जांचों की सुविधाएं हैं। कई ऐसे बड़े निजी अस्पताल हैं जहां लोगों को इलाज की अच्छी खासी सुविधा दी जा सकती है। फिर भी मरीजों को कोविड संदिग्ध बताकर लौटा दिया जा रहा है।
केस-1
टैगोर टाउन में एक नामी अस्पताल के बाहर खड़े मुकुल दास ने बताया कि उनकी भाभी को सिर और पेट में दो दिनों से दर्द हो रहा है। डाक्टर ने उन्हें देखने से पहले ही कह दिया कि कोविड जांच कराकर निगेटिव रिपोर्ट लेकर आएं। भाभी को किसी न किसी अस्पताल में इलाज कराना ही है, कोई अड़चन न आए इसलिए उन्होंने अपनी फोटो खींचने से मना कर दिया।
केस-2
अतरसुइया निवासी प्रदीप मालवीय अपने बेटे को दिखाने पन्नालाल रोड स्थित एक निजी अस्पताल पहुंचे। उसकी रीढ़ की हड्डी में दिक्कत कई दिनों पहले बढ़ गई थी। भीतर जाकर पर्चा बनवाया तो कह दिया गया कि डाक्टर शाम तीन बजे के बाद देखेंगे। तब तक मरीज की कोविड जांच करा लें, क्योंकि उसके बिना अस्पताल में किसी को नहीं देखा जा रहा है।
केस-3
काल्विन अस्पताल में नहीं कर रहे भर्ती
काल्विन अस्पताल में गंभीर हालत वाले मरीजों को भी भर्ती नहीं किया जा रहा है। करेली से आई शाइस्ता परवीन ने कहा कि उनके पति के गले में तकलीफ है। भर्ती करने से इन्कार कर दिया।
यह कहना है एएमए के अध्यक्ष का
इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. एमके मदनानी ने कहा कि अस्पतालों में एंटीजेन किट से कोरोना जांच की सुविधा है। जिला प्रशासन भी कह चुका है एंटीजेन जांच के बाद मरीज का इलाज करें। अस्पतालों को ऐसे ही किसी को लौटा नहीं देना है। हां, किसी को भर्ती करने से पहले या आपरेशन से पहले उसकी आरटीपीसीआर कराना मजबूरी है।