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नैनी सेंट्रल जेल के हाई सिक्‍यूरिटी बैरक में कैदी की झूलती मिली लाश Prayagraj News

वह आगरा का रहने वाला था। केंद्रीय कारागार नैनी में सजा काट रहा था। हाई सिक्‍यूरिटी बैरक में रोशनदार से लटकती लाश मिली। जेल प्रशासन मामले की जांच कर रहा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 12:16 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 07:33 PM (IST)
नैनी सेंट्रल जेल के हाई सिक्‍यूरिटी बैरक में कैदी की झूलती मिली लाश Prayagraj News
नैनी सेंट्रल जेल के हाई सिक्‍यूरिटी बैरक में कैदी की झूलती मिली लाश Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। नैनी केंद्रीय कारागार में एक कैदी की लाश हाई सिक्‍योरिटी बैरक में फांसी के फंदे पर झूलती लाश मिली। लोवर के नारे से रोशनदान से उसका शव लटका मिला। मंगलवार की रात करीब तीन बजे जानकारी होने पर जेल में हड़कंप मच गया। जेल प्रशासन को सूचना दी गई। वहां पहुंचे अफसरों ने शव को फांसी के फंदे से उतरवाया। कैदी के रहस्‍यमय हाल में फांसी के फंदे से झूलते शव मिलने के मामले की जांच की जा रही है।

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दर्जन भर मुकदमों में वांछित था आगरा का प्रिंस

प्रिंस अग्रवाल उर्फ समर ज्ञानी राहुल 23 पुत्र अनिल अग्रवाल आगरा में ताजगंज थाने के ताजनगरी मोहल्ले का निवासी था। प्रिंस दर्जन भर मुकदमाें में वांछित था। साथ ही जीआरपी के केस में भी सजा काट चुका है। इसी क्रम में आइपीसी की धारा 224 के अंतर्गत प्रिंस अग्रवाल नैनी थाने में पकड़ा गया था और नैनी केंद्रीय कारागार में सजा काट रहा था।

संदिग्‍ध हाल में लटकता मिला शव

प्रिंस अग्रवाल का संदिग्‍ध हाल में नैनी केंद्रीय कारागार की हाई सिक्‍योरिटी बैरक में सजा काट रहा था। मंगलवार की देर रात करीब तीन बजे  उसका शव फांसी के फंदे से लटकता मिला। अन्‍य कैदियों को इसकी जानकारी हुई तो उन्‍होंने शोर मचाया। बंदीरक्षकों ने इसकी सूचना जेल के अधिकारियों काे दी। जेल अधिकारी मौके पर पहुंचे। फांसी के फंदे से नीचे उतारकर तत्‍काल प्रिंस को केंद्रीय कारागार से एसआरएन हॉस्पिटल के लिए देर रात भेजा गया। वहां चिकित्‍सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जेल प्रशासन का कहना है कि इससे पहले भी प्रिंस कई बार आत्‍महत्‍या का प्रयास कर चुका है।

कई सवाल छोड़ गया है प्रिंस

नैनी केंद्रीय कारागार के हाई सिक्‍योरिटी बैरक में संदिग्‍ध हाल में फांसी के फंदे पर प्रिंस का लटकता शव मिला। इसे लेकर जेल के बंदियों में असंतोष का भी माहौल है। वहीं जेल की सिक्‍योरिटी पर भी सवालिया निशान उठ रहे हैं। उसने फांसी कब, कैसे और क्यों लगाई। क्‍या किसी ने फांसी लगाते हुए उसे बैरक में नहीं देखा। वहां ड्यूटी किन बंदीरक्षकों की थी, उस समय वह कहां थे। आखिर किसकी लापरवाही हुई। आत्‍महत्‍या है या फिर हत्‍या, यह सब सवाल अभी अनसुलझे हैं। जेल प्रशासन द्वारा इन प्रश्‍नों को सुलझाने के बाद ही हकीकत का पता चल सकेगा।


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