Lockdown में भी टारगेट पूरा करो...वरना छोड़ दो नौकरी, कर्मियों पर है दबाव Prayagraj News
कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में निजी बैैंक और बीमा कंपनियों के कर्मियों पर टॉरगेट पूरा करने का दबाव है। नौकरी बचाने के लिए मनाही के बावजूद उन्हें ग्राहकों के घर जाना पड़ता है।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस से संकट के इस दौर में ज्यादातर सरकारी और निजी कंपनियों में काम बंद है। कहीं हो भी रहा है तो सिर्फ जरूरी काम ही। वहीं निजी बैंक और बीमा कंपनियां सरकारी हिदायतों से परे कर्मचारियों पर रोज कई खाते खोलने और लाखों रुपये का बीमा कराने का दबाव बना रही है। लॉकडाउन की वजह से टारगेट पूरा न करने पर नौकरी को खतरे में देख कई कर्मचारियों ने परिचित पुलिस अधिकारियों से शिकायत कर कंपनी से राहत दिलाने में मदद मांगी है।
निजी बैैैंक ने टारगेट में कोई छूट नहीं दी
टैगोर टाउन में रहने वाले अशोक खरे एक निजी बैैंक में सहायक मैनेजर हैैं। कौशांबी में तैनाती है। लॉकडाउन के पहले ही उन्हें टारगेट दे दिया गया था कि ब्रांच में रोज 10 नए ग्राहकों के खाते खोलने हैैं। न्यूनतम दो लाख रुपये का बीमा होना चाहिए। लॉकडाउन लागू होने पर आवाजाही पर रोक लगी मगर बैैैंक ने टारगेट में कोई छूट नहीं दी। इसी प्रकार करेली के आलोक सक्सेना और मीरापुर के शिशिर मल्होत्रा निजी बीमा कंपनी में सेल्स डिपार्टमेंट में कार्यरत हैैं। उनसे भी कंपनी ने कहा है कि हेल्थ इंश्योरेंस और टर्म प्लान का टारगेट नहीं पूरा किया तो अगले महीने कहीं और नौकरी देख लेना। कई और निजी बैैंक और बीमा कंपनियों के कर्मचारियों ने यही बताया।
नौकरी गंवाने के डर से वे जोखिम उठा रहे
निजी बैैंक कर्मियों से कहा जा रहा है कि वे लोगों को लिंक भेजकर खाता खुलवाने का प्रोसेस कराएं। नौकरी गंवाने के डर से वे जोखिम उठा रहे हैैं। इस बारे में एक निजी बैंक के क्लस्टर हेड ने कहा कि ऐसा नहीं है जबकि दूसरे बैैंक के क्षेत्रीय प्रमुख ने कॉल नहीं रिसीव किया।
बोले आइजी रेंज केपी सिंह
इस संबंध में आइजी रेंज केपी सिंह का कहना है कि लॉकडाउन में बैंक तो खुले हैैं लेकिन खाता खोलने या बीमा कराने जैसी गतिविधियों के लिए आवाजाही की अनुमति नहीं हैैं। इस निर्देश का सभी कंपनियों को पालन करना चाहिए।