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कोरोना इंफेक्शन से बचने के लिए सावधानी जरूरी, जानिए कैसे सतर्कता बरत रहे प्रयागराज के डॉक्टर

डा. सत्यदेव पांडेय न्यूरो सर्जन (असिस्टेंट प्रोफेसर) एमएलएन मेडिकल कालेज कहते हैं कि कोविड ड्यूटी कठिन है तो यही असली वक्त भी है अपना फर्ज निभाने के लिए। क्योंकि कोविड ऐसी बीमारी है जिससे हर कोई घबराया हुआ है। चिकित्सा स्टाफ में घबराहट है संक्रमित मरीजों में भय है

By Ankur TripathiEdited By: Published: Mon, 31 May 2021 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 31 May 2021 07:00 AM (IST)
कोरोना इंफेक्शन से बचने के लिए सावधानी जरूरी, जानिए कैसे सतर्कता बरत रहे प्रयागराज के डॉक्टर
डॉक्टरों के सामने खुद का बचाव करने के साथ परिवार को भी कोरोना से दूर रखने की अहम जिम्मेदारी थी

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना महामारी के इस संकट काल में हजारों लोग संक्रमण का शिकार होकर अस्पताल पहुंच गए तो बड़ी समस्या उनके भी सामने रही जो इन मरीजों का इलाज करते रहे। जी हां, डॉक्टरों के सामने खुद का बचाव करने के साथ ही घर लौटने पर अपने परिवार को भी कोरोना से दूर रखने की अहम जिम्मेदारी थी। इस बारे में जब डॉक्टरों से बात की गई तो उन्होंने अपने उन मुश्किल दिनों के बारे में अनुभव साझा किए।

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टीम लीडर की तरह अपने जूनियर स्टाफ का हौसला बनाए रखा

डा. सत्यदेव पांडेय, न्यूरो सर्जन (असिस्टेंट प्रोफेसर) एमएलएन मेडिकल कालेज कहते हैं कि कोविड ड्यूटी कठिन है तो यही असली वक्त भी है अपना फर्ज निभाने के लिए। क्योंकि कोविड ऐसी बीमारी है जिससे हर कोई घबराया हुआ है। चिकित्सा स्टाफ में घबराहट है, संक्रमित मरीजों में भय है और परिवार के लोगों के मन में तमाम तरह की आशंका तैरती रहती है। इन सभी का समाधान सिर्फ एक है मास्क। मैंने भी दो बार कोविड वार्ड में ड्यूटी की है। मास्क ही संक्रमण से बचाए रहा। मरीजों के पास काम करते समय हर वक्त संक्रमण का खतरा रहता है। इससे मानसिक तनाव भी होता है लेकिन सावधानी पूर्वक काम करेंगे तो कुछ नहीं होगा। मैंने जब-जब कोविड वार्ड में ड्यूटी की, टीम लीडर की तरह अपने जूनियर स्टाफ का हौसला बनाए रखा। यह बहुत जरूरी है। और जब घर जाते हैं तो वहां सेपरेट रहना पड़ता है। 20 दिन हो गए थे, अपने पिता जी से फेस टू फेस नहीं मिला। कमरे में खाना भी लाया जाता है तो दरवाजे पर ही एक निश्चित स्थान से उसे खुद ही उठाते हैं। भोजन के बाद बर्तन खुद ही धुलते हैं। यह सब इसलिए करना पड़ा ताकि मुझसे कोई संक्रमित न हो। यही संदेश चिकित्सा क्षेत्र के सभी साथियों के लिए भी है। सावधानी जरूरी है। अपनी जान रहेगी तो ही दूसरों की तकलीफ को दूर कर पाएंगे।


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