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दुश्वारियों में जिंदगी जी रहे हैं पीआरडी के जवान, मानदेय हैं कम फिर भी बमुश्किल दो महीने लगती है ड्यूटी

युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल विभाग से जिले में 1167 जवान हैं। इनकी ड्यूटी पहले सिर्फ चुनाव व मेला ही लगती थी। वह भी सभी जवानों की ड्यूटी चुनाव व मेला में नहीं लग पाती थी। जवानों को परिवार के पालन पोषण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 03:13 PM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 03:13 PM (IST)
दुश्वारियों में जिंदगी जी रहे हैं पीआरडी के जवान, मानदेय हैं कम फिर भी बमुश्किल दो महीने लगती है ड्यूटी
खाकी वर्दी धारी पीआरडी (प्रांतीय रक्षक दल) के जवान दुश्वारियों में जिंदगी जी रहे हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। खाकी वर्दी धारी पीआरडी (प्रांतीय रक्षक दल) के जवान दुश्वारियों में जिंदगी जी रहे हैं। एक तो मानदेय कम है, फिर भी साल में बमुश्किल दो महीने ही ड्यूटी लग पा रही है। खाली रहने पर खेतीबारी और मजदूरी करके किसी तरह परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं।

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पहले सिर्फ चुनाव में लगती थी ड्यूटी, अब दो साल से मिलने लगा बजट

युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल विभाग से प्रतापगढ़ जिले में कुल 1167 जवान हैं। इनकी ड्यूटी पहले सिर्फ चुनाव व मेला ही लगती थी। वह भी सभी जवानों की ड्यूटी चुनाव व मेला में नहीं लग पाती थी। इससे इन जवानों को परिवार के पालन पोषण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यही वजह है कि धीरे-धीरे करीब चार सौ जवानों ने विभाग से दूरी बना ली। इस समय करीब आठ सौ जवान ही सक्रिय हैं, जिसमें 140 महिला हैं।

योगी सरकार ने ली सुधि

दो साल पहले तक इन आठ सौ जवानों को भी पूरे साल ड्यूटी नहीं मिल पाती थी, सिर्फ मेला व चुनाव में ही ड्यूटी लगती थी। ऐसे आयोजनों के लिए प्रदेश सरकार इन जवानों को मानदेय देने के लिए विभाग को बजट उपलब्ध कराती थी। वर्ष 2019 से योगी सरकार ने मानदेय के लिए बजट देना शुरू किया है। वर्ष 2019 में 273 जवानों और वर्ष 2020 में 229 जवानों के मानदेय के लिए बजट मिला था। 

रोटेशन पर लगाई जा रही है ड्यूटी

उपलब्ध बजट से विभाग यह प्रयास करता है कि रोटेशन के आधार पर सभी आठ  सौ जवानों को बारी-बारी से कुछ न कुछ दिन की ड्यूटी मिल सके। यानि औसतन छह सौ जवानों की ड्यूटी साल भर नहीं लग पाती है। बमुश्किल एक जवान की ड्यूटी साल में करीब दो महीने ही लग पाती है। एक तो पूरे साल ड्यूटी नहीं मिल पाती है, दूसरा मानदेय भी इतना कम (375 रुपये प्रतिदिन) है कि उससे परिवार का गुजारा कर पाना मुश्किल है।


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