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मइया के दरबार में मत्था टेक, मांगा आशीष

- भक्तों ने यम-नियम से किया ब्रह्माचारिणी स्वरूप का पूजन जागरण संवाददाता प्रयागराज शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन मंदिरों में मइया के दर्शन हुए। साधकों ने मइया से आशीष मांगा। सिद्ध पीठ मंदिरों में श्रद्धालुओं का जमघट लगा। मां के जयकारे लगे। प्रयागराज के मां अलोप शंकरी ललितादेवी और कल्याणी देवी में श्रद्धालु उमड़े।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 07:41 PM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 07:41 PM (IST)
मइया के दरबार में मत्था टेक, मांगा आशीष
मइया के दरबार में मत्था टेक, मांगा आशीष

- भक्तों ने यम-नियम से किया ब्रह्माचारिणी स्वरूप का पूजन जागरण संवाददाता, प्रयागराज : शारदीय नवरात्र में हर ओर भक्तिमय माहौल है। व्रत, जप व पूजन के जरिए भक्त मां भगवती को रिझाने में लगे हैं। सिद्धपीठ मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए भक्तों का जमघट लग रहा है। वहीं, घरों में स्थापित कलश के समक्ष दुर्गा सप्तशती का पाठ करके साधकों ने मइया से आशीष मांगा। नवरात्र के दूसरे दिन रविवार को मां के ब्रह्माचारिणी स्वरूप का पूजन हुआ। भक्तों ने यम-नियम से ब्रह्माचारिणी स्वरूप का पूजन करके उनसे त्याग, संयम व सदाचार का आशीष मांगा।

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नवरात्र में मां भगवती की साधना से मानव के अंदर व्याप्त काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार जैसे शत्रुओं का अंत होता है। मइया उन्हें वैभव, यश-कीर्ति प्रदान करती हैं। सिद्धपीठ मां अलोपशंकरी, मां कल्याणी देवी व मां ललिता देवी मंदिर में रत्‍‌नजड़ित आभूषणों, पुष्पों से मां के ब्रह्माचारिणी स्वरूप श्रृंगार व पूजन हुआ। भक्तों ने मइया को नारियल, चुनरी, फल व पुष्प अर्पित करके उनके मनोरम स्वरूप का दर्शन-पूजन किया।

----- ग्रहों की पीड़ा का करें शमन

नवरात्र में मां भगवती के पूजन से ग्रहों की पीड़ा का अंत होता है। पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं साधक मां भगवती की उपासना के साथ नवग्रहों की पूजा कर उनके दोष से मुक्ति पा सकते हैं। पूजन के लिए वेदी बनाकर उस पर श्वेत रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर चावल से ही ग्रहों का प्रतीक बनाएं। इसके बाद पान, सुपाड़ी, लौंग, इलायची, सिंदूर अर्पित कर ग्रहों के बीज मंत्रों का 108 बार जाप करें। इससे ग्रहों की पीड़ा खत्म हो जाएगी।

------------- इन मंत्रों का करें जाप

-मंगल के लिए ऊं हूं श्रीं भौमाय नम:।

-बुध के लिए ऊं ऐं ह्नीं श्रीं बुधाय नम:।

-वृहस्पति के लिए ऊं ह्नीं क्लीं हूं वृहस्पतये नम:।

-शुक्र के लिए ऊं ह्नीं श्रीं शुक्राय नम:।

-शनि के लिए ऊं ऐं ह्नीं श्रीं शनैश्चराय नम:।

-सूर्य के लिए ऊं ह्नीं ह्नौं सूर्याय नम:।

-चंद्रमा के ऊं ऐं क्लीं सोमाय नम:।

-राहु के लिए ऊं ऐं ह्नीं राहुवे नम:।

-केतु के लिए ऊं ह्नीं ऐं केतवे नम:।


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