Prayagraj Weather News: प्रयागराज में पहाड़ों जैसा मौसम, बारिश तो नहीं पर बादलों व ठंडी हवा से राहत
Prayagraj Weather News आसमान में छाए बादलों और ठंडी हवा ने प्रयागराज के तापमान को कम कर दिया है। मंगलवार की तुलना में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में कमी हुई है। बुधवार को अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। आसमान में उमड़ते-घुमड़ते बादल, ठंडी हवा के झोके ने प्रयागराज के मौसम को पहाड़ों जैसा बना दिया है। हालांकि बारिश तो नहीं हो रही है लेकिन सुहावने मौसम में उमस भरी गर्मी काफूर हो गई है। बुधवार की सुबह से मौसम का यही हाल है। कूलर तो छोडि़ए, पंखे की हवा भी राहत दे रही है। मौसम विभाग ने बारिश न होने की संभावना जताई है। ऐसे मौसम के कारण तापमान में भी गिरावट आई है।
मौसम विभाग का अनुमान कि फिर बदलेगा मौसम
बदले मौसम के मिजाज के बीच सोमवार, मंगलवार के बाद बुधवार को भी बादल आसमान में काबिज हैं। उमड़ते-घुमड़ते रहे लेकिन हवा तेज होने से एक जगह वे टिक नहीं पा रहे हैं जिससे बारिश नहीं हो रही। कई बार काली छटाओं ने डेरा डालने की कोशिश की, ऐसा लगा कि अब बारिश हो ही जाएगी। मगर हवा ने बादलों का रुख बदल दिया। मौसम विभाग के अनुसार अगले दो-तीन दिन में मौसम खुलेगा। तेज धूप होने पर तापमान में बढ़ोतरी होगी।
तापमान में आई गिरावट
बुधवार को अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।
सोमवार को अधिकतम तापमान 34.8 डिग्री सेल्सियस व मंगलवार को यह 33.1 डिग्री सेल्सियस था। वहीं सोमवार को न्यूनतम तापमान 27.9 डिग्री सेल्सियस था, जो मंगलवार को 28.1 डिग्री सेल्सियस हो गया था। यानी बुधवार को मंगलवार की तुलना में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में कमी आई है।
मौसम विज्ञानी का यह है पूर्वानुमान
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मौसम विज्ञानी डा. शैलेंद्र राय का कहना है कि अगले दो-तीन दिन में मौसम खुला रहने की संभावना है। बारिश होने के कम आसार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अधिक वायु दबाव होगा तो अचानक कुछ भी बदलाव हो जाएगा।
बारिश से फसलों को फायदा
सितंबर माह में दो-तीन दिन के अंतराल पर बारिश हो जा रही है। यह फसलों के दृष्टिकोण से अच्छी है। इससे धान समेत अन्य फसलों का फायदा हो रहा है। उनकी प्रगति अच्छी है। इसका प्रभाव पैदावार पर दिखाई देगा। अक्सर यह देखा जाता है कि मानसून के बाद हल्की बारिश न होने पर फसलों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देता है। पानी की कमी के कारण पैदावार कम हो जाती है।