जानिए प्रयागराज की टीचर रीना के पढ़ाने का खास तरीका जिससे बच्चों की बढ़ी दिलचस्पी
डा. रीना कहती हैं कि विद्यार्थियों को क्राफ्ट से जुड़ी चीजें बताने के साथ व्यावहारिक ज्ञान भी देती हैं। बच्चों को वाल हैंगिंग बनाने पेन स्टैंड तमाम अन्य सजावटी सामान बनाने का प्रशिक्षण देती हैं। यह सभी सामान घर में उपलब्ध वस्तुओं का प्रयोग कर तैयार कराए जाते हैं।
अमलेन्दु त्रिपाठी, प्रयागराज। परिषदीय स्कूलों के आधारभूत ढांचे को बेहतर बनाया जा रहा है। शिक्षकों को भी अध्यापन के लिए तमाम तरह के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। इन सब से प्रेरित होकर सैदाबाद विकासखंड के कम्पोजिट स्कूल चक सिकंदर की शिक्षक डा. रीना मिश्रा ने शून्य निवेश नवाचार शिक्षा को अपनाया है। कक्षा में गतिविधि आधारित अध्यापन के लिए बच्चों को अलग अलग तरह के खेल खिलाने के साथ उनकी रचनात्मकता को भी जगाने की कोशिश हो रही है।
गतिविधि आधारित शिक्षा से बच्चों का रुझान पढ़ाई की ओर बढ़ा
डा. रीना कहती हैं कि विद्यार्थियों को क्राफ्ट से जुड़ी चीजें बताने के साथ व्यावहारिक ज्ञान भी देती हैं। बच्चों को वाल हैंगिंग बनाने, पेन स्टैंड, तमाम अन्य सजावटी सामान बनाने का प्रशिक्षण देती हैं। यह सभी सामान घर में उपलब्ध वस्तुओं का प्रयोग कर तैयार कराए जाते हैं। कुछ बच्चे इसमें बहुत रुचि लेते हैं और आकर्षक वस्तुओं को तैयार करते हैं। इससे उनकी सृजनात्मकता का विकास होता है।
ग्रामीण परिवेश के कई बच्चे क्राफ्ट में बनाई वस्तुओं को परिवार वालों की मदद से बेच भी देते हैं। आगे चलकर वह इस विधा में प्रवीण होकर आत्मनिर्भर बन सकते हैं। अध्यापन के इस बदले स्वरूप से अभिभावक भी संतुष्ट रहते हैं। कोरोना काल की आनलाइन पढ़ाई में भी वह सहयाेगी बन रहे हैं।
कविता में गूथकर बच्चे पढ़ रहे गणित, विज्ञान
नाम ‘चतुर्भुज’ मेरा बच्चों। चार भुजाएं मेरी जानो। आयत सीधा होता होगा। मुझको तो टेढ़ा ही जानो...। इस तरह की ढेरों रचनाएं सैदाबाद विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय महुआ कोठी में कभी भी सुनने को मिल सकती है। यहां की सहायक अध्यापक आरती द्विवेदी ने बच्चों को गणित और विज्ञान जैसे गूढ़ विषयों को पढ़ाने के लिए रोचक तरीका अपनाया है।
कभी किसी कहानी के माध्यम से तो कभी गीत, संगीत और कविता के जरिए बच्चों को आकृति ज्ञान देने के साथ ही अंकों की समझ भी विकसित कराती हैं। अध्यापन के पारंपरिक तौर तरीके में बदलाव से विद्यार्थी उसे मनोरंजन मानकर विषय से सीधे जुड़ जाते हैं और विषय को आसानी से समझ लेते हैं। आरती कहती हैं कि मिशन प्रेरणा के तहत बच्चों की समझ विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है। पुस्तक पढ़ने, अंक ज्ञान आदि पर जोर है। इसी दृष्टि से अध्यापन के तौर तरीके बदल रहे हैं। बच्चों को पुस्तकों से जोड़ने के लिए विद्यालय में पुस्तकालय को भी समृद्ध बनाया गया है। वर्तमान में करीब 600 किताबें संग्रहीत हैं। उन्हें बच्चों को पढ़ने के लिए भी प्रेरित किया जाता है।