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पुलिसकर्मी बनकर लोगों के रुपये उड़ाने वाला गैंग बेनकाब, Prayagraj Police ने दबोचे एमपी के छह शातिर अपराधी

ये सभी बैंकों के आसपास या व्यापारिक इलाके में टवेरा से पहुंचते थे। इसमें दो लोग बाहर निकलते थे और जिसके पास रुपये होने का संदेह होता था उससे कहते थे कि वे पुलिस वाले हैं और गाड़ी में बैठे साहब बुला रहे हैं। फिर उसे शिकार बना लेते थे।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 08:53 PM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 08:53 PM (IST)
पुलिसकर्मी बनकर लोगों के रुपये उड़ाने वाला गैंग बेनकाब, Prayagraj Police ने दबोचे एमपी के छह शातिर अपराधी
गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार कर तमंचा-कारतूस, कागज की कई गड्डी और चार पहिया बरामद किया गया

प्रयागराज, जेएनएन। पुलिसकर्मी बनकर लोगों को झांसा देकर रुपये उड़ाने वाले गैंग का करेली थाने की पुलिस ने सोमवार को राजफाश किया है। गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार कर तमंचा-कारतूस, कागज की कई गड्डी और चार पहिया बरामद किया गया। पूछताछ में अपराधियों ने दर्जनों लोगों को ठगने की बात कबूली है।

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मध्यप्रदेश के हैं रहने वाले हैं शातिर

धूमनगंज के सुलेम सराय में रहने वाले कमलेश कुमार ने चार अप्रैल को करेली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उनका कहना था कि कुछ लोगों ने उन्हें झांसा देकर रुपये उड़ा दिए। इंस्पेक्टर बृजेश सिंह ने जांच पड़ताल शुरू की। सोमवार को दिन में थाने के पास एक टवेरा गाड़ी पकड़ी। उसमें छह लोग सवार थे। पुलिस ने पूछताछ की तो वे गोलमोल जवाब देने लगे। तलाशी ली गई तो तमंचा-कारतूस और कई कागज की गड्डी मिली। कागज की गड्डी नोट साइज की थी। उसके आगे और पीछे नोट लगी थी। सभी को थाने लाया गया। इंस्पेक्टर ने बताया कि पकड़े गए बदमाशों में मुलायम सिंह, मान सिंह निवासी कुंवरपुर, सुरेंद्र चौरसिया निवासी मोहंद्रा, रावेंद्र सिंह, राजपाल सिंह ठाकुर उर्फ सोनू निवासी तिघरा, थाना सेमरिया, जनपद पन्ना, मप्र. और इमरत लाल निवासी पहाड़ी, थाना रीठी, जिला कटनी, मप्र. शामिल हैं।


बाजार में गाड़ी से जाकर करते थे वारदात

ये सभी बैंकों के आसपास या व्यापारिक इलाके में टवेरा से पहुंचते थे। इसमें दो लोग बाहर निकलते थे और जिसके पास रुपये होने का संदेह होता था, उससे कहते थे कि वे पुलिस वाले हैं और गाड़ी में बैठे साहब बुला रहे हैं। जब वह व्यक्ति वहां पहुंचता तो उससे कहा जाता कि रुपये निकालकर सुरक्षित रख लो। चोर उचक्के घूम रहे हैं। जैसे ही वह व्यक्ति रुपये निकालता धोखे से उसके रुपये लेकर उसे कागज की गड्डी पकड़ा देते, जिसके आगे-पीछे नोट लगे होते थे। इससे किसी को इस गैंग के बारे में संदेह भी नहीं होता था।


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