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नकली आयुष्मान गोल्डन कार्ड बनाने वाले शातिर थे, असली-नकली कार्ड में फर्क पकड़ पाना था मुश्किल

विवेक दुबे आयुष्मान गोल्डन कार्ड बनाता था जबकि आलोक अग्रहरि लोगों को जाल में फंसाकर यहां लाता था। विवेक जिन लोगों के सही गोल्डेन कार्ड बनाता था उनके कागजात कंप्यूटर में फिट कर लेता था इसी के आधार पर अन्य लोगों के फर्जी गोल्डेन कार्ड बनाए जाते थे।

By Brijesh Kumar SrivastavaEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 08:40 AM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 08:40 AM (IST)
नकली आयुष्मान गोल्डन कार्ड बनाने वाले शातिर थे, असली-नकली कार्ड में फर्क पकड़ पाना था मुश्किल
प्रयागराज पुलिस ने फर्जी आयुष्‍मान गोल्‍डन कार्ड बनाने वाले जिन दो आरोपितों को पकड़ा था, वह बेहद शातिर थे।

प्रयागराज, जेएनएन। अतरसुइया पुलिस ने पांच दिन पहले दो शातिर जालसाजों को गिरफ्तार किया था। ये फर्जी तरीके से लोगों को आयुष्मान गोल्डन कार्ड बनाकर देते थे। लोगों को अपने चंगुल में फंसाने के लिए ये बीमारी में मुफ्त इलाज का झांसा देते थे। साथ ही पूरी गारंटी लेते थे कि कहीं भी कोई इनको पकड़ नहीं पाएगा। इन आयुष्मान गोल्डन कार्ड को असली की तरह ही तैयार किया जाता था, बस इसमें जाति बदल दी जाती थी। इससे कोई आसानी से इसे नहीं पकड़ पता था। जब ये जांच के लिए विभाग के वेवसाइट पर डाले जाते तभी ये पकड़ में आते। यही बात जालसाजों को पता थी और वह निश्चित थे कि ऐसा कभी कभार ही होता है।

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नौ माह में हो गए थे मालामाल

पुलिस ने विवेक दुबे निवासी कटघर थाना मुट्ठीगंज और आलोक अग्रहरि निवासी एडीए कालोनी नैनी को गिरफ्तार किया था। इनके पास से 43 आयुष्मान गोल्डन कार्ड बरामद किए गए थे। साथ ही स्कैनर, लैपटॉप आदि भी पुलिस को मिले थे। पूछताछ में पता चला था कि करीब नौ माह से यह सब चल रहा था। जिन लोगों को फर्जी गोल्डन कार्ड जारी किया जा रहा था, उनके पांच सौ से लेकर एक हजार रुपये तक वसूले जाते थे। मात्र नौ माह में ही विवेक और आलोक मालामाल हो गए थे।

आलोक लाता था ग्राहक

विवेक दुबे आयुष्मान गोल्डन कार्ड बनाता था, जबकि आलोक अग्रहरि लोगों को जाल में फंसाकर यहां लाता था। विवेक जिन लोगों के सही गोल्डन कार्ड बनाता था, उनके कागजात कंप्यूटर में फिट कर लेता था, इसी के आधार पर अन्य लोगों के फर्जी गोल्डन कार्ड बनाए जाते थे। फोटो और जाति बदलकर फर्जी गोल्डन कार्ड जारी कर दिया जाता था।

चकित रह गए थे अफसर

दोनों की गिरफ्तारी के बाद जिला कार्यक्रम आयुष्मान भारत, स्वास्थ्य केंद्र दरियाबाद के प्रभारी, जिला सूचना प्रबंधक थाने पहुंचे थे। बरामद आयुष्मान गोल्डन कार्ड को देखा तो वह असली लग रहे थे। हालांकि अधिकारियों ने जब इसे विभाग की वेबसाइट के माध्यम से चेक किया तो उनके होश उड़ गए। यह सभी गोल्डन कार्ड फर्जी थे। यह भी पता चला कि अब तक आठ सौ से अधिक लोगों को ये आयुष्मान गोल्डन कार्ड फर्जी तरीके से जारी कर चुके हैं।


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