सेबिया के शहर प्रयागराज में छाया छत्तीसगढ़ी अमरूद, जानिए रोज कितने लाख रुपये की हो रही यहां बिक्री
सेबिया अमरूद अपनी विशेष रंग सुगंध और स्वाद के लिए पहचाना जाता है। यहां से मीठा अमरूद कहीं नहीं होता है। लेकिन इस बाद मौसम की मार कुछ ऐसी पड़ी की इलाहाबादी अमरूद का रंग फीका पड़ गया। बेमौसम बरसात ने फसल और बाजार को तहस-नहस कर दिया।
अनुराग श्रीवास्तव, प्रयागराज। दुनियाभर में मशहूर इलाहाबादी सेबिया और सुर्खा अमरूद पर मौसम की ऐसी मार पड़ी कि अपने ही शहर में यह ढूंढे नहीं मिल रहा है। ऐसे में यहां पर छत्तीसगढ़ी बीजी अमरूद छा गया है। शहर से लेकर गांव तक इसकी बिक्री हो रही है। वहां से ट्रकों में भरकर रोजाना बड़े पैमाने पर अमरूद आ रहा है। वह अमरूद रोजाना करीब लाख रुपये का यहां पर बिक रहा है। छत्तीसगढ़ी भले ही स्वाद में सेबिया के टक्कर का नहीं है लेकिन विकल्प तो बन ही गया है।
विदेश तक जाता है इलाहाबादी सेबिया लेकिन अबकी है नदारद
हर साल इलाहाबादी अमरूद देश ही नहीं विदेश में भी जाता था। इसकी विदेशी में बड़ी मांग है। सेबिया अमरूद अपनी विशेष रंग, सुगंध और स्वाद के लिए पहचाना जाता है। यहां से मीठा अमरूद कहीं नहीं होता है। लेकिन इस बाद मौसम की मार कुछ ऐसी पड़ी की इलाहाबादी अमरूद का रंग फीका पड़ गया। बेमौसम बरसात ने फसल और बाजार को तहस-नहस कर दिया। इसलिए अब बाजार में छत्तीसगढ़ी अमरूदों का कब्जा हो गया है। यह अमरूद 60 से 70 रुपया प्रतिकिलो के हिसाब से सिविल लाइंस में बिक रहा है। फल व्यापारी मुन्नू पटेल बताते हैं कि समय से पहले बारिश के कारण अमरूद की 90 प्रतिशत फसल खराब हो गई थी। फलों में कीड़ें लग गए थे। इसलिए इस खेती में लगा पैसा भी इस बार किसान नहीं निकाल पाए हैं। बाजार की मांग के अनुरूप आपूर्ति भी नहीं हो पाई, इसलिए छत्तीसगढ़ी अमरूदों ने अपना बाजार बना लिया। सस्ता होने के कारण इसकी मांग बढ़ी है।
उद्यान विशेषज्ञ का है कहना
- मई माह में हुई बारिश ने इस बार अमरूदों को जल्दी पका दिया। इसलिए उसमें कीड़े लग गए। कीड़े लगने के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है। अगली फसल यहां पर अमरूद की बेहतर होगी। जल्द ही बाजार में इलाहाबादी अमरूद फिर से अपना जलवा दिखाएगा।
- वीके सिंह, उद्यान विशेषज्ञ