Move to Jagran APP

Prayagraj Magh Mela 2021: इस बार माघ मेले के 'भूले भटके शिविर में नहीं, गुमशुदा को मोबाइल पर ही खोज सकेंगे

Prayagraj Magh Mela 2021 माघ मेला 2021 में इस बार भी खोया-पाया शिविर लगेगा। हालांकि इस बार सुविधा थोड़ी हाईटेक होगी। बिछडऩे वाले लोगों को मिलाने के लिए एनाउंस करने के साथ भारत सेवा दल भूले भटके शिविर की वेबसाइट व वाट्सएप ग्रुपों पर उनकी फोटो डाली जाएगी।

By Brijesh Kumar SrivastavaEdited By: Published: Sun, 10 Jan 2021 02:17 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jan 2021 02:17 PM (IST)
Prayagraj Magh Mela 2021: इस बार माघ मेले के 'भूले भटके शिविर में नहीं, गुमशुदा को मोबाइल पर ही खोज सकेंगे
माघ मेला क्षेत्र में भूले भटके शिविर में बिछड़े लोगों को मिलाया जाता है।

प्रयागराज, जेएनएन। 'ऐ कल्लू के पापा हम बिछुड़ गय हई..., भूले-भटके शिविर में हई, हमका आय के लै जा...।' प्रयागराज में माघ मेला में बांध पर पहुंचते ही कुछ ऐसे ही शब्द कानों को झंकृत करते हैं। कुंभ हो या माघ मेला, सालों से मेला में अपनों से बिछडऩे वालों को इसी अंदाज में मिलाया जाता है। इसे गंगा मइया की कृपा कहें अथवा स्वयंसेवकों का प्रयास कि मेला खत्म होने से पहले ही सारे बिछड़े परिजनों से मिल जाते हैं।

loksabha election banner

माघ मेला 2021 में इस बार भी खोया-पाया शिविर लगेगा। हालांकि इस बार सुविधा थोड़ी हाईटेक होगी। बिछडऩे वाले लोगों को मिलाने के लिए एनाउंस करने के साथ 'भारत सेवा दल भूले भटके शिविर' की वेबसाइट व वाट्सएप ग्रुपों पर उनकी फोटो डाली जाएगी। फोटो एक से दूसरे ग्रुप में भेजी जाएगी। शहर से बाहर रहने वाले स्वयंसेवक भी फोटो को अलग-अलग ग्रुपों में भेजने में सक्रिय रहेंगे।

हर 30 मिनट पर फोटो व ब्‍योरा अपडेट किया जाएगा

कोरोना संक्रमण काल में खोया-पाया शिविर में अबकी दूसरे प्रदेशों से आने वाले स्वयंसेवकों को मना कर दिया गया है। प्रयागराज, कौशांबी, प्रतापगढ़, भदोही, मीरजापुर, चित्रकूट, बांदा आदि जिलों में रहने वाले स्वयंसेवक पहले की तरह सक्रिय रहेंगे। छह युवाओं की टीम 24 घंटे सक्रिय रहेगी। एक टीम चार से छह घंटे काम करेगी। वह शिविर में आने वाले बिछड़े लोगों का ब्योरा लेकर उनकी मोबाइल से फोटो खींचकर वाट्सएप ग्रुप व वेबसाइट पर डालेंगे। हर 30 मिनट पर उसे अपडेट किया जाएगा।

बोले, भारत सेवा दल के अध्यक्ष उमेश चंद्र तिवारी

भारत सेवा दल के अध्यक्ष उमेश चंद्र तिवारी बताते हैं कि 12 जनवरी से शिविर शुरू हो जाएगा। वाट्सएप ग्रुप भारत सेवा दल के नाम से बनाया जाएगा। स्वयंसेवक बिछडऩे वाले की फोटो, नाम व पता उसके जरिए दूसरे ग्रुपों में भेजेंगे। इससे कम समय पर अधिक लोगों तक संदेश पहुंच जाएगा। शिविर के संचालक लालजी तिवारी ने बताया कि मौजूदा समय अलग-अलग प्रदेशों के 250 स्वयंसेवक संघ से जुड़े हैं। कुछ की तीसरी पीढ़ी नि:स्वार्थ भाव से सेवा देने आती है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री जनेश्वर मिश्र भी देते थे सेवा

माघ मेला क्षेत्र में भूले-भटके लोगों को मिलाने की शुरुआत 1946 के माघ मेला में हुई। राजाराम तिवारी ने सात लोगों को साथ लेकर भारत सेवा दल की स्थापना की। छोटे लोहिया के नाम से विख्यात पूर्व केंद्रीय मंत्री जनेश्वर मिश्र भी संघ से जुड़कर लोगों को मिलाने की सेवा देते थे। आरंभ में टीन का भोंपू बनाकर दौड़-दौड़कर चिल्लाते हुए लोगों को मिलाया जाता था। फिर 1954 के कुंभ मेला में संघ को प्रशासन ने गंभीरता से लेकर उन्हें शिविर लगाने के लिए जगह दी।

अब तक मिलाए हैं 15 लाख से अधिक लोग

भारत सेवा दल के भूले-भटके शिविर के जरिए अभी तक 15 लाख से अधिक महिला-पुरुष को मिलवाया जा चुका है। जबकि 22 हजार बिछड़े बच्चे भी परिजन से मिलाए गए हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.