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सस्ता व साफ ईंधन उपलब्ध कराने में प्रयागराज फिसड्डी, नीति आयोग के एसडीजी अर्बन इंडेक्‍स में सच उजागर

प्रयागराज मंडल के क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी आरके सिंह कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन एक बड़ा मुद्दा है और इसको लेकर तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से भी प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 10:43 AM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 10:43 AM (IST)
सस्ता व साफ ईंधन उपलब्ध कराने में प्रयागराज फिसड्डी, नीति आयोग के एसडीजी अर्बन इंडेक्‍स में सच उजागर
नीति आयोग के एसडीजी अर्बन इंडेक्स से देश में 56 शहरों के सर्वेक्षण में प्रयागराज 42वें पायदान पर है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। बात जब भविष्य की चुनौतियों से निबटने की हो तो अपना प्रयागराज देश के अन्य शहरों की दौड़ में काफी पीछे है। कुल 56 शहरों की प्रतिस्पर्धा में यह 42 वां स्थान सुरक्षित कर पाया है। इतना ही नहीं, यह उप्र के आठ शहरों में चौथे पायदान पर है। शिमला इस प्रयास में सबसे उम्दा शहर पाया गया है और कोयम्बटूर दूसरे पायदान पर है।

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यह बात उजागर हुई है नीति आयोग के सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (एसडीजी) के सर्वेक्षण के बाद जारी हुए अर्बन इंडेक्स यानी शहरी विकास की सूची में। यह रिपोर्ट इस बात का संकेत है कि अपना शहर विकास और स्वास्थ्य-सुविधाओं का संतुलन बनाने में फिसड्डी है।

दरअसल, विकास एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन से निबटने के प्रयासों के बीच विकास की गंगा भी बहती रहे, इसके लिए प्रयास क्या और कितने जरूरी हैं तथा उसमें से कितना किया जा रहा है? यह जानने के लिए ही यह सर्वेक्षण कराया गया था।

आंकड़ों पर डालें एक नजर

नीति आयोग ने रैंकिंग 14 गोल, 46 टारगेट और 77 इंडेक्स के आधार पर की है। शहरों को प्रत्येक गोल में कुल 100 पूर्णांक में से प्राप्तांक मिले हैं। इसमें प्रयागराज को सस्ते और साफ ईंधन की उपलब्धता में सबसे कम केवल 21 अंक मिले हैं। सबसे ज्यादा अंक सामुदायिक विकास के मुद्दे पर पूरे 100 मिले हैं। इसके बावजूद शहर सूची में खिसक कर 42वें स्थान पर आ गया है।

गोल                               कुल अंक   प्राप्तांक

गरीबी उन्मूलन                100     54

असमानता दूर करना         100    52

भुखमरी से मुक्ति             100     68

स्वास्थ्य व जीवनस्तर       100     59

गुणवत्तापरक शिक्षा          100    74

लैंगिक समानता                100    89

साफ पानी और स्वच्छता    100    42

सस्ता व साफ ईंधन           100    21

आर्थिक विकास                 100    49

संसाधनों का विकास          100    51

सामुदायिक विकास           100    66

जलवायु परिवर्तन             100    49

न्याय के लिए संस्था         100    76

मिले 60.71 प्रतिशत अंक

अर्बन इंडेक्स में प्रयागराज को 60.71 प्रतिशत अंक मिले हैं। पहले पायदान पर हिमांचल प्रदेश की राजधानी शिमला है जिसे 71.50 प्रतिशत अंक मिले हैं। दूसरे पायदान पर कोयंबटूर और तीसरे पर चंडीगढ़ रहे हैं। इसके बाद क्रम से तिरुवनंतपुरम, तिरुचिरापल्ली, कोच्चि, पणजी, पुणे, अहमदाबाद और नागपुर शामिल हैं। बता दें कि नीति आयोग ने 'इंडो-जर्मन डेवलपमेंट कारपोरेशन' के तहत जीआइजेड और बीएमजेड के साथ मिलकर एसडीजी शहरी सूचकांक और ताजा जानकारी के लिए 'डैशबोर्ड' विकसित किया है।

उप्र में भी शहरों से पिछड़ा

एसडीजी अर्बन इंडेक्स में उप्र के आठ शहरों को शामिल किया गया है। इनमें भी प्रयागराज चौथे स्थान पर आया है। लखनऊ 36वीं रैंक व 62.93 प्रतिशत अंक के साथ दूसरे, कानपुर 38वीं रैंक और 61.86 प्रतिशत के साथ तीसरे व गाजियाबाद को 41वीं रैंक और 60.93 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं। आगरा को 49वीं, फरीदाबाद को 47वीं रैंक, वाराणसी को 46वीं और मेरठ को 55वीं रैंक मिली है। रैंकिंग में इस बात का ध्यान रखा गया है कि संबंधित शहर के जन प्रतिनिधियों व अधिकारियों ने इन सभी गोल को स्थानीय स्तर पर लागू करने के लिए क्या योजनाएं बनाई और योजनाओं को किस तरह से लागू किया गया है।

यहां से लिए गए हैं आंकड़े

उपरोक्त आंकड़े अधिकारिक स्रोतों जैसे एनएफएचएस (नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे), एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो), यू-डीआइएसई (शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली), विभिन्न मंत्रालयों के पोर्टल और अन्य सरकारी स्रोतों से लिए गए हैं। 56 शहरों में 44 शहर ऐसे हैं, जिनकी आबादी 10 लाख से ज्यादा है। 12 राज्यों की राजधानियां भी इसमें शामिल की गई थीं। इनकी आबादी 10 लाख से कम है। इसके तहत कुल 46 लक्ष्य तय किए गए और मूल्यांकन के लिए 77 इंडीकेटर्स थे।

क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी बोले

प्रयागराज मंडल के क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी आरके सिंह कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन एक बड़ा मुद्दा है और इसको लेकर तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से भी प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं। हालांकि नीति आयोग के इस कार्यक्रम की मुझे जानकारी नही है।


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