Prayagraj Coronavirus Effect : कुलियों को जिंदगी की गाड़ी पटरी पर लौटने का इंतजार, कर्फ्यू हटने के बाद राहत की उम्मीद
कुली रामचंद्र का कहना है कि कोरोना संक्रमण की वजह से सालभर से परेशानी हो रही है। राशन तो गांव से ले आते हैं। लेकिन कमरे के किराए का इंतजाम नहीं हो पा रहा है। वहीं कुली शिव बाबू का कहना है कि यात्री का आवागमन कम हो गया है।
प्रयागराज,जेएनएन। यात्रियों का सामान ढोकर आजीविका चलाने वाले कुलियों की जिंदगी ठहर सी गई है। जंक्शन के प्लेटफार्म पर इन दिनों कुली मायूस होकर बैठे हैं। दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर आने से कामकाज ठप हुए तो कोरोना कफ्र्यू में लोगों ने यात्रा करना भी बंद कर दिया। महानगरों में रह रहे प्रवासी लौटे तो राहत मिली। लेकिन फिर प्लेटफार्म पर सन्नाटा छाया रहता है। हालत यह है कि कमरे का किराया देना भी मुश्किल हो रहा है और प्रतिदिन आने-जाने पर महंगा पड़ रहा है। कई बार तो पूरे दिन खाली बैठना पड़ता है।
आए दिन बोहनी तक नहीं होती है
कभी प्लेटफार्म तो कभी पैदल पुल पर बैठकर कुली यहीं चर्चा करते हैं कि कब हालात सुधरेंगे और कब जिंदगी की गाड़ी पटरी पर लौटेगी। कुली लालजी ने बताया कि सालभर से कोरोना का ऐसा ग्रहण लगा है कि सबकुछ बर्बाद होता जा रहा है। कुली राजेंद्र निषाद व सुनील पटेल का कहना है कि कभी-कभी तो बोहनी भी नहीं होती है। लाल वर्दी कुली यूनियन के मंडल अध्यक्ष होरीलाल पटेल ने बताया कि प्रयागराज जंक्शन पर करीब 200 कुली कार्यरत हैं। लेकिन काम नहीं मिलने और आर्थिक संकट के बीच कई कुली तो अपने गांव लौट गए। हालत यह है कि कमरे का किराया देना भी मुश्किल हो रहा है।
सालभर से उठानी पड़ रही मुसीबत
कुली रामचंद्र का कहना है कि कोरोना संक्रमण की वजह से सालभर से परेशानी हो रही है। राशन तो गांव से ले आते हैं। लेकिन, कमरे का किराया तक देने का इंतजाम नहीं हो पा रहा है। वहीं, कुली शिव बाबू का कहना है कि यात्री का आवागमन कम हो गया है। कुछ ट्रेनों का भी निरस्तीकरण किया जा रहा है। ऐसे में 200 रुपये मिलना भी भारी हो गया है।