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बीमार इंसान के लिए भगवान राम की तरह दुख हरने वाले बने हैं प्रयागराज के रामचंद्र

जहां किसी ऐसे बीमार की सूचना मिली जिसका इलाज पैसे के अभाव में नहीं हो रहा दौड़कर वहीं चले गए। मुख्यमंत्री सहायता कोष से आर्थिक मदद के आवेदन की सभी औपचारिकता पूरी करवाई अस्पताल के बैंक खाते में शासन से धनराशि आ गई तो रामचंद्र की तपस्या पूरी हो गई।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 09:10 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 11:02 AM (IST)
बीमार इंसान के लिए भगवान राम की तरह दुख हरने वाले बने हैं प्रयागराज के रामचंद्र
हाईकोर्ट के अधिवक्ता रामचंद्र यादव की चुपचाप यह समाज सेवा 22 साल से चल रही है

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। पैसे के अभाव में किसी की जान नहीं जाए, सभी जरूरतमंदों को शासन से आर्थिक मदद मिल जाए। बस यही तो है हंडिया के जगदीशपुर निवासी अधिवक्ता रामचंद्र यादव के जीवन का ध्येय। समाचार पत्र या किसी अन्य के माध्यम से जहां किसी ऐसे बीमार की सूचना मिली जिसका इलाज पैसे के अभाव में नहीं हो पा रहा है दौड़कर वहीं चले गए। मुख्यमंत्री सहायता कोष से आर्थिक मदद के आवेदन की सभी औपचारिकता पूरी करवाई, अस्पताल के बैंक खाते में शासन से धनराशि आ गई तो रामचंद्र की तपस्या जैसे पूरी हो गई।

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22 साल से करते आ रहे यह सामाजिक काम

इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता रामचंद्र यादव की चुपचाप यह समाज सेवा 22 साल से चल रही है। कहते हैं कि अब तक करीब 300 लोगों की इसी तरह से मदद करा चुके हैं। रामचंद्र के इस सेवाभाव से उनके वृद्ध पिता शारदा प्रसाद यादव इतने प्रभावित हैं कि अपनी पेंशन से बेटे को हर महीने आठ या 10 हजार रुपये की मदद करते हैं। इलाके के लोग भी इस नेक काम के लिए रामचंद्र की सराहना करते रहते हैं।

युवती ने मांगी इच्छामृत्यु तो पहुंच गए बांदा

रामचंद्र के सामाजिक जीवन के कई किस्से भी लोग सुनाते हैं। दिसंबर 2010 की बात है जब बांदा के जमुनिहा पुरवा निवासी 19 वर्षीय सोनम ने अपनी बीमारी से ऊबकर राज्यपाल से इच्छामृत्यु की अनुमति मांगी थी। रामचंद्र को यह पता चला तो दौड़ पड़े सोनम के घर की ओर। उसकी हर संभव मदद कराई, शासन से आर्थिक मदद मिली और सोनम का इलाज हुआ। ऐसे दर्जनों किस्से हैं जो रामचंद्र यादव की समाजसेवा को कुछ अलग ढंग से पेश करते हैं।


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