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Pravasi Bhartiya Diwas 2021: बुलंद हौसले से मिटाई बेबसी की लकीर, गांव से निकलकर विदेश में बन गए बड़े व्‍यवसायी Prayagraj News

Pravasi Bhartiya Diwas 2021 घर की गरीबी के कारण उन्होंने विदेश जाकर नौकरी करने का ख्याल मन में आया। फिर 2002 में दुबई की जंबो इलेक्ट्रानिक कपंनी में सर्विस इंजीनियर के पद पर नौकरी मिल गई। यहीं से प्रदीप की किस्मत ने करवट लिया। इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।

By Rajneesh MishraEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2021 02:17 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2021 02:17 PM (IST)
Pravasi Bhartiya Diwas 2021: बुलंद हौसले से मिटाई बेबसी की लकीर, गांव से निकलकर विदेश में बन गए बड़े व्‍यवसायी Prayagraj News
ओमान के मस्कट शहर में प्रयागराज के प्रदीप त्रिपाठी ने 2016 ग्लोबल फोन टेक्नोलाजी नाम से कंपनी बनाई।

प्रयागराज,जेएनएन।  हौसलों की उड़ान गरीबी की बंदिश से नहीं बंधती। न कुछ कर गुजरने के जज्बे को कोई तोड़ सकता है। वास्तव में उपेक्षा व अभाव में तप कर निकलने वाला व्यक्ति ही खुद को सफलता के पथ पर निखरता है। कुछ ऐसा ही जज्बा दिखाया है प्रखर प्रवासी प्रदीप त्रिपाठी ने। प्रयागराज की बारा तहसील के पांडर गांव निवासी प्रदीप ने अपने संघर्ष, समर्पण व जज्बे के बल पर ओमान के बड़े व्यवसायी बन गए। कभी नौकरी के लिए दुबई गई थे।  आज खुद की कंपनी चलाते हैं, जिसमें करीब चार सौ लोग काम करते हैं।

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पांडर गांव के बेहद सामान्य परिवार में जन्में प्रदीप चार भाई व पांच बहनों में सबसे छोटे थे। पिता स्व. गंगा प्रसाद त्रिपाठी किसान थे। परिवार बड़ा होने के नाते पढ़ाई के लिए फीस का प्रबंध पिता मुश्किल से होता था। कक्षा चार तक सरस्वती शिशु मंदिर जसरा में पढ़ाई किया। फिर पांचवीं की पढ़ाई गांव के प्राथमिक विद्यालय से पूरी की। प्रदीप की ललक देखकर बड़ी बहन धु्रपति ओझा ने उन्हें प्रयागराज शहर बुलाकर स्वामी विवेकानंद विद्याश्रम में दाखिला करा दिया। यहां से 10वीं में प्रथम श्रेणी में पास करने के बाद यमुना क्रिश्चियन इंटर कालेज से 12वीं द्वितीय श्रेणी में पास किया। फिर मेरठ स्थित स्कूल आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रानिंग एंड टेली कम्युनिकेशन से डिप्लोमा और आइपीएम से एमबीए की पढ़ाई की। पढ़ाई की फीस बड़ी मुश्किल से जमा हो पाती थी। बताते हैं कि पिता के साथ बड़े भाई चंद्रप्रकाश त्रिपाठी ने उनकी बहुत मदद की। उन्होंने मेरी हर जरूरत पूरी की। घर की गरीबी के कारण उन्होंने विदेश जाकर नौकरी करने का ख्याल मन में आया। फिर 2002 में दुबई की जंबो इलेक्ट्रानिक कपंनी में सर्विस इंजीनियर के पद पर नौकरी मिल गई। यहीं से प्रदीप की किस्मत ने करवट लिया। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। ओमान के मस्कट शहर में 2016 ग्लोबल फोन टेक्नोलाजी नाम से कंपनी बनाई। आज ओमान व दुबई में 15 शोरूम हैं।

दौलत और शोहरत मिलने के बाद भारतीय संस्‍कृति को नहीं भूले

दौलत व शोहरत मिलने के बावजूद खुद को भारतीय संस्कृति के अनुरूप ढाला है। मांस-मदिरा का सेवन नहीं करते। पत्नी रश्मी, बेटी स्वास्तिका व बेटा अन्वय के दिन की शुरुआत पूजा से होती है। रक्षाबंधन, होली, दीपावली, भइया दूज, करवाचौथ जैसे पर्व धूमधाम से मनाते हैं। प्रवासी भारतीयों को संस्कारित रखने के लिए साल में दो-तीन बार संतों को बुलाकर प्रवचन भी कराते हैं।

गांव से बना है जुड़ाव

प्रदीप साल में दो-तीन बार गांव आते हैं। गांव के लोगों को स्वरोजगार से जोडऩे के लिए पाली हाउस व डेयरी खोली है, उसमें 40 लोग काम करते हैं। गांव के गरीब बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करते हैं और उन्हें आर्थिक मदद भी देते हैं।

कोरोना काल में मदद को आए आगे

प्रदीप ने कोरोना संक्रमण काल में मस्कट सहित ओमान के विभिन्न शहरों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों के खाने-पीने का दो महीने तक प्रबंध किया था।

यह है प्रदीप का सफर

-2002 से 2004 तक जंबो इलेक्ट्रानिक दुबई में सर्विस इंजीनियर।

-एमएचडी ओमान में 2004 से 2007 तक असिस्टेंट मैनेजर।

-बैटेल कंपनी ओमान में 2007 से 2011 तक असिस्टेंट सीईओ।

-2011 से 2016 तक एबीटी ग्रुप में ग्रुप सीईओ व मैनेजिंग पार्टनर।

यह सम्मान मिला

-2019 में यंग इंटरपेंयोर आफ द इयर।

-2020 में चैंपियन बिजनेसमैन आफ द इयर।

-2020 में बेस्ट डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी आफ ओमान


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