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इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 26 महीने पूर्व विवादित इंटरव्यू मामले के नोटिस प्रकरण में राजनीति

डा. विक्रम ने 21 अक्टूबर 2019 को एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में विश्वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर सवाल उठाया था। वह अपने बयान पर आज भी कायम हैं। आरोप है कि विश्वविद्यालय में जो भी कुलपति आते हैं वह जाति के आधार पर प्रशासनिक पद बांटते हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 29 Dec 2021 09:10 AM (IST)Updated: Wed, 29 Dec 2021 09:10 AM (IST)
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में 26 महीने पूर्व विवादित इंटरव्यू मामले के नोटिस प्रकरण में राजनीति
इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय के डाक्टर विक्रम के मामले में छात्र संगठन दो खेमे में बंट गए हैं।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डाक्टर विक्रम हरिजन के मामले में अब छात्र संगठन दो धड़ों में बंट गए हैं। छात्रसंघ भवन पर छात्रों ने प्रदर्शन कर नोटिस वापस लेने की मांग की है। वहीं दूसरे संगठन इसे राजनीतिक स्टंट बताकर जाति के आधार पर छात्रों को बांटने के आरोप लगा रहे हैं।

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कुलपतियों पर जाति के आधार पर प्रशासनिक पद बांटने का आरोप

डा. विक्रम ने 21 अक्टूबर 2019 को एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में विश्वविद्यालय की प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर सवाल उठाया था। वह अपने बयान पर आज भी कायम हैं। आरोप है कि विश्वविद्यालय में जो भी कुलपति आते हैं, वह जाति के आधार पर प्रशासनिक पद बांटते हैं।

राष्‍ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तक पहुंचा मामला

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने मामले में विश्वविद्यालय से जवाब तलब किया तो विश्वविद्यालय ने डा. विक्रम को नोटिस जारी कर साक्ष्य के साथ जवाब मांगा। अब डा. विक्रम आयोग पहुंच गए और तमाम संगठन उनके समर्थन में उतर आए हैं।

आइसा व दिशा छात्र संगठन ने नोटिस के खिलाफ किया प्रदर्शन

इस मामले में आइसा और दिशा छात्र संगठन ने नोटिस के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस दौरान एक जाति विशेष पर तमाम आरोप लगाए गए। यहां मनीष कुमार, जितेंद्र धनराज, जोया आफरीन, जितेंद्र धनराज, विवेक सुल्तानवी, अम्बरीष, सौम्या, विकास, शशांक आदि मौजूद रहे।

एनएसयूआइ के पूर्व इकाई अध्‍यक्ष ने लगाया यह आरोप

एनएसयूआइ के पूर्व इकाई अध्यक्ष अभिषेक द्विवेदी ने इन संगठनों की तरफ से डा. विक्रम के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया। कहा यह संगठन विश्वविद्यालय में जातीय नफरत फैला रहे हैं। उनका कहना है समर्थन किया जाए लेकिन कैंपस में राजनीति न की जाए।


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