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प्रियंका की मौन डुबकी को लेकर सियासी शोर

संगम तट पर चल रहे माघ मेले में गुरुवार को मौनी अमावस्या का बड़ा स्नान पर्व है। प्रियंका वाड्रा संगम में डुबकी लगाएंगी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2021 06:01 AM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2021 06:01 AM (IST)
प्रियंका की मौन डुबकी को लेकर सियासी शोर
प्रियंका की मौन डुबकी को लेकर सियासी शोर

जासं, प्रयागराज: संगम तट पर चल रहे माघ मेले में गुरुवार को मौनी अमावस्या का बड़ा स्नान पर्व है। कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका वाड्रा के संगम स्नान करने की बुधवार शाम को आई खबर ने सियासी गलियारे में बड़ा शोर मचा दिया। इसे उनके मिशन यूपी-2022 के लिए बड़ी सियासी कदम माना जा रहा है।

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माघ मेला में लाखों कल्पवासी तंबू में धर्म अध्यात्म की धूनी रमाए हैं। इसमें अलग-अलग क्षेत्रों के लोग हैं, जो वोटर भी हैं। इस मेले में विश्व हिदू परिषद ने अयोध्या में बन रहे श्री राम मंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पण अभियान चला रखा है। इतना ही नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत भी 19 फरवरी को प्रयागराज पहुंच रहे हैं। वह आरएसएस के अनुषांगिक संगठन गंगा समग्र के पदाधिकारियों के साथ 20 फरवरी को माघ मेला क्षेत्र में वृहद बैठक करेंगे, जिसमें उत्तर प्रदेश सहित छह प्रांतों के पदाधिकारी शामिल होंगे। ऐसे में धर्म के इस मेले से कांग्रेस ने भाजपा को सियासी जवाब देने के लिए प्रियंका वाड्रा को आगे कर दिया। प्रियंका वाड्रा का प्रयागराज संगम आने के प्लान बन गया। मौनी अमावस्या पर उनके संगम स्नान करने की खबर का शोर सियासी हलके में मचना था, सो मच गया। उनके आने की सूचना और सुरक्षा व्यवस्था के प्रोटोकाल को लेकर लखनऊ से फोन घनघनाने लगे। इसे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस का ट्रंप कार्ड माना जा रहा है।

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नेहरू, इंदिरा, सोनिया भी आ चुकीं मेला

प्रधानमंत्री की हैसियत से पंडित जवाहर लाल नेहरू वर्ष 1954 में कुंभ मेले में आए थे। वह आज भी लोगों को याद है। जब भी इस बात का जिक्र किया जाता है तो लोगों का दर्द भी छलक उठता है। उनके जाने के बाद भगदड़ मचने से कई लोगों की जान चली गई थी। इसके पूर्व वह 1938 में अपनी मां की अस्थियां विसर्जित करने आए थे। तब उन्होंने संगम में डुबकी भी लगाई थी। कांग्रेस नेता किशोर वाष्र्णेय बताते हैं कि इसके बाद नेहरू-गांधी परिवार ने कई बार आने का प्रयास किया पर उन्हें सुरक्षा कारणों का हवाला देकर रोक दिया गया। इसके बाद 1975 में इंदिरा गांधी संगम पहुंची थीं। उन्होंने संगम दर्शन किया था। फिर वर्ष 2001 में सोनिया गांधी आई थीं। उस वक्त राजनाथ सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम करने से इनकार कर दिया गया था। सोनिया आनंद भवन ठहरीं थीं। यहां से वह सीधे सरस्वती घाट से मोटर बोट से संगम पहुंचीं थीं। इसके बाद 18 मार्च 2019 को प्रियंका वाड्रा संगम पहुंचीं थीं और यहां लेटे हनुमान जी का दर्शन और किला देखने के बाद स्टीमर से गंगा यात्रा का श्रीगणेश किया था। अब वह दोबारा गुरुवार को पहुंचेंगी और संगम में डुबकी लगाएंगी।


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