कुछ जज्बात अभी बाकी हैं... कोरोना पॉजीटिव दोस्त के लिए Allahabad University की छात्रा ने लिखी कविता, हो रही सराहना
कोरोना काल में जरूरत है खुद मजबूत रहकर अपनों को हिम्मत बंधाने की। कुछ ऐसा ही किया है इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्रा मानसी मिश्रा ने जिसने होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज से बीएमएस की पढ़ाई कर रहे एक कोरोना पॉजीटिव मित्र को संबल प्रदान करने के लिए कविता लिखी है।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना के इस संकट काल में जब हर तरफ मौतों और जीवन के लिए संघर्ष करते लोगों की खबरें हर मिनट आ रही हैं तब हर किसी में बेचैनी, घबराहट, व्याकुलता होना लाजिमी है, मगर यह कोरोना से जंग के लिए ठीक नहीं है क्योंकि जरूरत इस महामारी से हिम्मत और साहस के साथ लड़ने की है। खुद मजबूत रहने के साथ ही अपनों को भी हिम्मत बंधाना जरूरी है। कुछ ऐसा ही किया है इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीएएसी की छात्रा मानसी मिश्रा ने और वो भी अनोखे ढंग से। मानसी ने बीएमएस की पढ़ाई कर रहे अपने एक कोरोना पॉजीटिव मित्र को संबल प्रदान करने के लिए कविता लिखी है। यह कविता इविवि के छात्र-छात्राओं के बीच अभी चर्चा में है। कोरोना महामारी के इस हाहाकारी काल में मानसी की इस रचना की खासी सराहना भी की जा रही है। आप भी पढ़िए यह कविता....
कुछ जज्बात बाकी हैं......
अभी रात बाकी है, कुछ जज्बात बाकी हैं
तुझे जो न कह पाया वो बात बाकी है
अभी अधूरी कहानी बाकी है
अपने मां-बाप का नाम का नाम रोशन करना बाकी है
हमारे चांद के अरमानों की चांदनी बाकी है
जिंदगी थोड़ा रहम कर,
अभी तो तेरा साथ बाकी है,
अभी तो प्यार हुआ है
अभी दो दिलों को ताज बाकी है
लाख गिराने की कोई कोशिश करें
उसके गिरकर चलने की राह बाकी है
मैं उस श्याम की दीवानी
अभी मेरा प्यार बाकी है,
जिंदगी थोड़ा धीरे धीरे चलो
अभी राधा और कृष्ण का प्यार बाकी है
अभी उसका कुछ अरमान बाकी है
जो न कह पाया वो बात बाकी है.....