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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' से भी चहके प्रयागराज के शोधार्थी जितेंद्र, राष्‍ट्रपति से होंगे सम्‍मानित

एमएनएनआइटी इलाहाबाद के शोध छात्र जितेंद्र प्रसाद की उपलब्धि पर पीएम मोदी ने मन की बात में ट्वीट कर बधाई दी। गांधीवादी यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन अवार्ड 2020 के लिए चुने गए हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 01:29 PM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 01:29 PM (IST)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' से भी चहके प्रयागराज के शोधार्थी जितेंद्र, राष्‍ट्रपति से होंगे सम्‍मानित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' से भी चहके प्रयागराज के शोधार्थी जितेंद्र, राष्‍ट्रपति से होंगे सम्‍मानित

प्रयागराज, जेएनएन। गंगा की मिट्टी से घरों तक बिजली पहुंचाई जाने की उम्मीद पर मोतीलाल नेहरू राष्टीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) के शोध छात्र का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में किया है। इतना नहीं पीएम ने उनके शोध पर ट्वीट कर दी बधाई भी दी है। इससे इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के शोध छात्र जितेंद्र प्रसाद भी चहक उठे हैं। साथ ही संस्थान में भी खुशी की लहर दौड़ पड़ी है।

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गांधीवादी यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन (ज्ञाति) अवार्ड 2020 के लिए चुने गए

जितेंद्र के शोध को गांधीवादी यंग टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन (ज्ञाति) अवार्ड 2020 के लिए चुना गया है। इसके लिए उन्हें राष्ट्रपति सम्मानित करेंगे। शोध में दावा किया गया है कि गंगा की मिट्टी में वैक्टीरिया (माइक्रोब्स) मिलता है। इससे रासायनिक क्रिया द्वारा इलेक्ट्रॉन उत्पन्न किया जा सकता है। इलेक्ट्रॉन, सर्किट में प्रवाहित होने के कारण सेडीमेंट माइक्रोबियल फ्यूल सेल में बिजली उत्पन्न करता है। इसके बाद लो वोल्टेज से हाई वोल्टेज में कन्वर्ट किया जाता है।

शोधार्थी जितेंद्र ने यह तकनीक विकसित की है

जितेंद्र ने बताया कि इलेक्ट्रानिक्स सर्किट बनाकर सेडिमेंट मैक्रोबियल फ्यूल सेल को लो वोल्टेज से हाई वोल्टेज में कन्वर्ट किया गया। फिर 12 वोल्ट की बैट्री चार्ज कर इसे 230 वोल्ट की एसी वोल्टेज में बदलकर बिजली के बल्ब को नौ घटे तक जलाया गया। प्रयोगशाला में 14-14 घटे तक काम कर चार वर्षो में यह टेक्नोलॉजी विकसित की गई। अभी सेडीमेंट माइक्रोबियल फ्यूल सेल का प्रायोगिक उपयोग किया जा सकता है।

बोले जितेंद्र, इस तकनीक से बिजली उत्पन्न करने में प्रदूषण नहीं होता

शोधार्थी जितेंद्र का यह भी दावा है कि इस तकनीक से बिजली उत्पन्न करने में प्रदूषण नहीं होता। यह तकनीक भविष्य में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह शोध उन्होंने प्रोफेसर रमेश कुमार त्रिपाठी के निर्देशन में किया। इस शोध को दैनिक जागरण ने 19 अगस्त के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित किया था।

गाजीपुर के रहने वाले हैं जितेंद्र

शोधार्थी जितेंद्र गाजीपुर के मुहम्मदाबाद स्थित शक्करपुर गाव के मूल निवासी हैं। उनके पिता रामकृत प्रजापति सेतु निगम में इलेक्ट्रिशियन पद से सेवानिवृत्त हैं और माता गृहणी हैं।


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